अर्धनारीश्वर मंदिर में होती हैं मन्नतें पूरीं
इटारसी। यदि आप इटारसी से सनखेड़ा जा रहे हैं तो नहर के बाद आपको रोड किनारे एक शिव मंदिर मिलेगा। यह अर्धनारीश्वर शिव मंदिर है जो यहां से आवागमन करने वालों के लिए महत्वपूर्ण देवस्थल है। कहा जाता है कि यहां सिर झुकाने वाले की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
श्रावण का महीना चल रहा है। इस पावन अवसर पर भक्तों के लिए भगवान शिव के दर्शन और पूजन महत्वपूर्ण होते हैं। कुछ शिवालय जो शहर में हैं, उनके विषय में तो लोग जानते हैं। लेकिन, कम लोगों को जिनके विषय में जानकारी होती है, उनसे हम आपको रूबरू करा रहे हैं। सावन में शिवभक्त शिवालयों में जाकर हर-हर महादेव के जयघोष के साथ पूजा, अभिषेक कर ही रहे हैं और अपने लिए सुख, शांति और वैभव मांग रहे हैं तो कुछ लोग परिवार, समाज की खुशहाली और अच्छी बारिश की कामना भी कर रहे हैं। शहर से करीब दो किलोमीटर दूर सनखेड़ा मार्ग पर अर्धनारीश्वर शिव मंदिर के विषय में कहा जाता है कि यहां संतान प्राप्ति के लिए मन्नतें पूरी होती हैं। किसी आश्रम की तरह दिखने वाले इस मंदिर में शिव की प्रतिमा और शिवलिंग दोनों रूप हैं। यहां भगवान भोलनाथ की प्रतिमा के साथ ही माता पार्वती भी विराजमान हैं, इसलिए इसे अर्धनारीश्वर कहा जाता है। मंदिर का इतिहास बहुत पुराना नहीं है, केवल एक दशक पुराने इस मंदिर के विषय में संस्थापक सदस्य मोहन पहलवान बताते हैं कि हम अनेक साथी पिछले कई वर्षों से सुबह-शाम यहां घूमने आते थे और पेड़ के नीचे कसरत करते थे। तभी हमने देखा कि यहां बहुत सी मढिय़ा में शिवलिंग स्थापित है जिसे रोज देखकर सबके मन में आया कि यहां पर मंदिर की स्थापना होना चाहिए और हनुमान जी की कृपा से मंदिर का निर्माण हो गया।
मंदिर निर्माण के बाद धर्माचार्यों की सलाह पर शिवलिंग के साथ ही भगवान अर्ध नारीश्वर की स्थापना भी की गई। मंदिर के पूजानी बताते हैं कि मंदिर की स्थापना के कुछ समय बाद ही यहां भक्तों की भीड़ बढऩे लगी। चूंकि यहां आकर पूर्ण मनोभाव व सच्ची श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों की हर मनोकामना भगवान महादेव की कृपा से होती है। विशेषकर संतान प्राप्ति की कामना भगवान अर्धनारीश्वर की कृपा से अवश्य पूर्ण होती है। जो भी संतानहीन दंपत्ति यहां आकर जोड़े से पूजा-अभिषेक करते हैं उनके घर आंगन में बच्चे की किलकारी अवश्य गूंजने लगती है। बता दें कि जहां यह मंदिर है, वहां एक दशक पूर्व तक भय का वातावरण बना रहता था। यहां से आवागमन करने वाले ग्रामीण बताते हैं कि सनखेड़ा नाका पर रात के समय निकलने में लूटपाट का डर बना रहता था। लेकिन, जब से यह शिवमंदिर बना है, तब से हमारा आवागमन सुरक्षित हो गया है।