आउटर पर डर में गुजारे यात्रियों ने चार घंटे

आउटर पर डर में गुजारे यात्रियों ने चार घंटे

इटारसी। अमरावती-जबलपुर एक्सप्रेस को रेलवे ने आधी रात आउटर पर खड़े रखा। ट्रेन को असुरक्षित स्थान पर रोके रखने से न केवल यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया गया बल्कि यात्रियों को आउटर पर न तो पीने का पानी नसीब हुआ और ना ही खाना या चाय मिली।
रात ढाई बजे से लेकर सुबह पौने सात बजे तक ट्रेन नागपुर आउटर पर खड़ी रही और ठंड के मौसम में बीमार यात्री, उनके परिजन, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं परेशान होते रहे। स्थानीय रेल प्रबंधन ने प्लेटफार्म खाली नहीं होने की मजबूरी बता दी। सवाल यह है कि रात ढाई बजे से प्लेटफार्म खाली नहीं हुए थे, क्या? सुबह भी सात से लेकर 10:35 बजे तक ट्रेन प्लेटफार्म क्रमांक 4 पर खड़ी रही। यात्रियों में आधी रात अंधेरे में सुनसान क्षेत्र में ट्रेन खड़ी रखने का गुस्सा था। क्योंकि ट्रेन में सवार टीटीई या अन्य कोई भी यात्रियों को कारण बता नहीं पा रहा था।
ब्लाक बढऩे से बनी परेशानी
इटारसी-जबलपुर रेलखंड पर सोनतलाई और बागरातवा रेलवे स्टेशनों के मध्य रेल लाइन दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। इंटरलॉकिंग कार्य के चलते यहां काम के लिए रेलवे से 16 एवं 17 फरवरी को दो दिन का ब्लाक लिया था जिससे अनेक ट्रेनों के या तो रूट बदले गये थे, या फिर उनको रद्द किया था। 17 की शाम को रेल जनसंपर्क अधिकारी ने जानकारी दी कि एक दिन का ब्लाक 18 फरवरी के लिए बढ़ाया गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या दूसरे डिवीजनों को यह खबर नहीं थी। यदि थी तो अमरावती से आने वाली ट्रेन को वहां से अन्य रूट से जबलपुर क्यों नहीं भेजा गया? यात्रियों को होने वाली परेशानी के लिए रेलवे ने जिम्मेदारी भरा कदम क्यों नहीं उठाया।
स्टेशन पर और भी लाइन होगी
एक सवाल यह भी उठता है कि यात्री ट्रेन को रेलवे स्टेशन पर लाकर अन्य रेल लाइन पर भी रोका जा सकता था। स्थानीय अधिकारियों ने यात्रियों से भरी ट्रेन को आउटर पर चार घंटे से अधिक अंधेरे में आउटर पर असुरक्षित स्थान पर क्यों रोके रखा जहां यात्रियों को खाना, पानी और चाय तक नसीब नहीं हो सकती है। रेलवे के अधिकारियों को इस बात का भी ख्याल नहीं रहा कि नागपुर आउटर पर इससे पहले कितनी ही लूटपाट, मारपीट और अन्य घटनाएं हुई हैं। पुरानी घटनाओं के कारण वहां ट्रेनों को अधिक देर तक रोके रखने की ऐसी क्या मजबूरी थी। ट्रेन को स्टेशन पर लाकर अन्य लाइन पर खड़े किया जा सकता था। आखिर, सुबह भी तो साढ़े तीन घंटे ट्रेन को यहां रोके रखा था।
महिला बच्चे रहे परेशान
हम अमरावती से जबलपुर जा रहे हैं। रात को ढाई बजे से ट्रेन को आउटर पर रोके रखा था। सुबह 7 बजे यहां प्लेटफार्म पर ट्रेन को लाया गया और यहां भी हम सुबह साढ़े दस बजे तक परेशान होते रहे। कोई बताने को तैयार नहीं है कि ट्रेन कब रवाना होगी।
मुरारीलाल यादव, यात्री जबलपुर
हम जॉब करते हैं, अमराती से लौट रहे हैं। हमारी कल तक छुट्टी थी, आज हमको जाकर ज्वाइन करना था। सुबह के साढ़े दस यहीं बज गये हैं, अब हमको अपने आफिस में फोन करके बताना पड़ेगा और छुट्टी बढ़ानी पड़ेगी।
श्रीमती किरण यादव, यात्री जबलपुर
नरसिंहपुर जा रहे हैं, तीन घंटे से इंतजार कर रहे हैं कि ट्रेन यहां से रवाना हो। इंतजार करते-करते परेशान हो गये हैं। रेलवे का रवैया गैर जिम्मेदाराना है। कोई भी सही जानकारी नहीं दे रहा है। बच्चे परेशान हो रहे हैं।
नरेश कुमार, यात्री नरसिंहपुर
रात 11 बजे से ट्रेन में बैठे हैं। पांढुर्ना से चले हैं, दो वर्ष का बच्चा साथ है। इटारसी आने से पहले रात ढाई बजे से ट्रेन अंधेरे में खड़ी रही। न तो वहां पानी था और ना ही चाय मिली। बच्चे के साथ परेशान होते रहे। यहां भी तीन घंटे से ट्रेन रुकी है।
संगीता, दिनेश पडग़ाने, यात्री पांढुर्ना

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AUTHORRohit

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