उज्जैन जिले से गेहूं लेकर आये ट्रक ड्रायवर की संदिग्ध मौत
इटारसी। उज्जैन जिले से सरकारी गेहूं लेकर आये एक ट्रक ड्रायवर की यहां संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गयी। आश्चर्य तो यह है कि मौत के बाद बिना किसी सूचना के ट्रक ड्रायवर का शव उसके घर कालापीपल भी ले जाया गया और प्रशासन को खबर तक नहीं लगी। जबकि बताते हैं कि उसे दो दिन से बुखार था और आज सांस लेने में काफी परेशानी होने के बाद इटारसी के सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया था, जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। जिस ट्रक से उसे इटारसी लाया गया था, वह पुलिस को सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल के पास खड़ा मिला। ट्रक में सरकारी गेहूं भरा था तो उसे एक अन्य ड्रायवर के माध्यम से श्रीकृपा वेयर हाउस भेजकर खाली कराया गया। नगर पालिका को वेयर हाउस और ट्रक को सेनेटाइज करने के आदेश के बाद नपा की टीम भी रैसलपुर पहुंच गयी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कालापीपल निवासी ट्रक ड्रायवर अंबिका प्रसाद मीना उज्जैन जिले से गेहूं लेकर रैसलपुर स्थित श्रीकृपा वेयर हाउस आया था। उसकी दो दिन से तबीयत खराब थी। वेयर हाउस में गेहूं लेकर आये ट्रकों की लंबी कतार थी और यह ट्रक वेयर हाउस से करीब आधा किलोमीटर दूर था। आज ट्रक चालक को सांस लेने में परेशानी हुई तो उसे साथी चालक एक अन्य ट्रक से लेकर इटारसी पहुंचे थे। यहां उसे मृत घोषित होने के बाद उसे सीधे कालापीपल ले गये। इस मामले में एसडीएम सतीश राय, टीआई दिनेश सिंह चौहान को कई बात फोन लगाया लेकिन दोनों अधिकारियों ने कॉल रिसीव नहीं किया।
अनभिज्ञता जतायी
मामला बुधवार को दोपहर 3 बजे के आसपास का है। जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हुई। आश्चर्य इस बात का है कि जब यहां नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक जीके गौतम से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी घटना के विषय में जानकारी होने से इनकार कर दिया। वेयर हाउस संचालक पंकज अग्रवाल ने कहा कि ट्रक उनके वेयर हाउस तक नहीं आया था। काफी दूर था, जब चालक की तबीयत खराब होने की जानकारी मिली थी। साथी ड्रायवर उसे अस्पताल ले गये थे, इससे ज्यादा जानकारी उनको नहीं है। अलबत्ता एक ट्रक उनके वेयर हाउस परिसर में खड़ा करके गये हैं, जो लौटकर नहीं आये। उन्होंने ट्रक को सेनेटाइज कराया है। इधर सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एके शिवानी ने कहा कि उनके यहां ऐसा कोई भी मामला नहीं आया, या उनके यहां ऐसी कोई मौत होने की जानकारी नहीं है।
नपा की टीम गयी सेनेटाइज करने
शाम को जब मामला उजागर हुआ तो नगर पालिका को स्थानीय प्रशासन ने वेयर हाउस और संंबंधित ट्रक को सेनेटाइज करने के निर्देश दिये हैं। सवाल यह है कि आखिर कैसे मृत ट्रक ड्रायवर को यहां से ले जाया गया होगा, जबकि उसे बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत थी जो कोरोना से मिलते-जुलते लक्षण हैं। क्या उस चालक का सेंपल नहीं लिया जाना चाहिए था? प्रशासन की तरफ से इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी? अस्पताल में यदि कोई मरीज पहुंचा और उसकी संदिग्ध मौत हुई तो अस्पताल प्रबंधन को प्रशासन को जानकारी नहीं दी जानी चाहिए थी? कई सवाल हैं, जिनके उत्तर फिलहाल मिलना शेष हैं। यदि जांच हुई तो बेहतर होगा, अन्यथा अब सांप तो निकल गया, लकीर पीटने वाली बात ही होगी। लेकिन, यह भी देखना होगा कि स्थानीय ठेकेदारों और उनके कर्मचारियों में भय का माहौल है।