कविता : जय हो मां नर्मदे

– सत्येंद्र सिंह (Satyendra Singh):नर का मद हरने वाली नर्मदे
तुम्हारी जय हो।
अमरकंटक से खंबात जाने वाली
तुम्हारी जय हो।
शेर शक्कर दुधी तवा गंजल हिरन
आदि नदियों को मिलाने वाली
तुम्हारी जय हो।
ओंकारेश्वर द्वीप, सिकता कावेरी वाली
तुम्हारी जय हो।
गणेश कार्तिकेय राम लखन हनुमान
सिद्धि प्रदाता नर्मदा
तुम्हारी जय हो।
नर्मदेश्वर शिवलिंग देने वाली नर्मदे
तुम्हारी जय हो।
एक मात्र परिक्रमा वाली नर्मदे
तुम्हारी जय हो।
सोमोद्भवा निज कूल कंदरा में
तप कराने वाली नर्मदे
तुम्हारी जय हो।
सत्येंद्र सिंह (Satyendra Singh)
सप्तगिरी सोसायटी, जांभुलवाडी रोड,
आंबेगांव खुर्द पुणे 411046
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ईमेल [email protected]
आपकी वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी पुणे के रूप में प्रोन्नत और 2009 में सेवानिवृत्त। श्रीकृष्ण-संदेश में 1969 में पहली कहानी प्रकाशन से हिंदी साहित्य सेवा में पदार्पण, विभिन्न रेल मंडलों व मुख्यालयों से विभागीय पत्रिकाओं का संपादन व प्रकाशन। विभिन्न साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन व झांसी, जबलपुर, सांगली, मुंबई व पुणे आकाशवाणी से प्रसारण।