किसान फसलों का करें सतत् निरीक्षण : सिंह

किसान फसलों का करें सतत् निरीक्षण : सिंह

कृषि वैज्ञानिक द्वारा किसानों को दी गई समसामयिक सलाह
होशंगाबाद। जिले में मक्का की फसल को फॉल आर्मी वर्म से बचाने किसानों को उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह (Jitendra Singh) ने सलाह जारी की है। यह सलाह आज गुरूवार को जिल स्तरीय फसल निगरानी दल में शामिल उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह, कृषि वैज्ञानिक आस्कर टोप्पो, अनुविभागीय कृषि अधिकारी राजीव यादव द्वारा होशंगाबाद, डोलरिया व सिवनीमालवा क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में फसलों का निरीक्षण कर दी है। दल ने फसलों का निरीक्षण किया और कृषकों को आवश्यक समसामयिक जानकारी दी गई।
पौधे की प्रारंभिक अवस्था में इल्लियां समूह में पत्तियां खुरचकर हरा भाग खाती है जिसके फलस्वरूप सफेद धब्बे दिखाई देने लगते हंै एवं पुष्प अवस्था में ये पूरे पौधे की पत्तियां, नर मंजरी एवं भुट्टो को नुकसान पहुंचाती हैं जिसके कारण पौधो में केवल डंठल एवं पत्तियों का मध्य शिरा भाग बचता है एवं ये प्राय: पोंगली में छिपी रहती है। अनुकूल मौसम होने पर यह कीट 35 से 40 दिन में जीवन चक्र पूरा कर लेता है तथा 1 वर्ष में 6 से 7 पीढिय़ां पूरी करने की क्षमता रखता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा है कि फसल अवधि में कीट का प्रकोप पहचानने हेतु 1 एकड़ में 5 फेरोमोन प्रपंच लगायें और फसल की निगरानी करें। इस कीट के प्रकोप से पौध अवस्था में 3 से 4 सप्ताह तक 5 प्रतिशत नुकसान पोंगली अवस्था अर्थात 5 से 7 सप्ताह की अवस्था में 20 प्रतिशत नुकसान एवं नर मंजीरी एवं भुट्टे बनने की अवस्था अर्थात 9 से 10 सप्ताह में 10 प्रतिशत नुकसान होने की संभावना रहती है।
किसानो से कहा गया है कि पीला मोजेक नोग दिखाई पडऩे पर उसके नियंत्रण हेतु इमिडाक्लोरप्रिड 1 एमएल प्रति लीटर अथवा थयोमेथाक्सेम 0.5 ग्राम प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काब करे। किसान इस बात का विशेष ध्यान रखें कि एक एकड़ में कम से कम 150 लीटर घोल का छिड़काव करे जिन खेतों में पीला मोजेक नामक बीमारी प्रारंभिक अवस्था में है अर्थात 1 से 2 प्रशित पौधे ही रोगग्रस्त दिखाई देते हैं एसी स्थिति में रोगग्रस्त पौधो को उखाड़कर खेत में एक गड्डा खोदकर दबा दें। वहीं जहां सोयाबीन की फसल में पत्ती छेदक तथा छेदक कीटो का प्रकोप दिखाई पडऩे पर प्रोफेनोफास 800 एमएल अथवा क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 1.5 लीटर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काब करे। मक्का के खेतो में जहां फालआर्मी नामक कीट का प्रकोप दिखाई पड़े तो क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 2 मिली प्रति लीटर अथवा स्पिनोसेड 47 एससी 0.3 मिली अथवा ईमामेक्टीन बेनजोएट 5 एसजी 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
जिले के किसानों से कहा है कि वे फसल की सतत निगरानी करें और फसल में जब भी फाल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप के लक्षण दिखे वे अपने नजदीकी कृषि विभाग के अमले को इसकी जानकारी दे और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा उपलब्ध कराई सलाह को उपयोग में लाएं।

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