श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर में ज्योर्तिलिंग महोत्सव का मंगलवार को होगा समापन
इटारसी। भगवान शिव की भक्ति में ही शिव की शक्ति छिपी हुई है। शिव दाता भी है और तांडवकर्ता भी। शिव के बिना सृष्टि कैसी और सृष्टि के बिना शिव कैसे। सावन मास में ज्योर्तिलिंग का पूजन और अभिषेक अपनी अलग मान्यता रखता है। उक्त उदगार श्री द्वादश ज्योर्तिलिंग के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने केदारनाथ ज्योर्तिलिंग के अभिषेक के समय व्यक्त किए।
म्ंागलवार को मंदिर में नर्मदाचंल के पहले पार्थिव शिवलिंग निर्माणकर्ता जीवनलाल शास्त्री समिति के आग्रह पर विशेष रूप से मौजूद थे। इस मंदिर में पार्थिव शिवपूजन एवं रूद्राभिषेक पंडित जीवनलाल शास्त्री ने ही प्रारंभ कराया था। समिति की ओर से पं. विनोद दुबे ने उनका पुष्पहार से उनका स्वागत किया। बारह ज्योर्तिलिंगो के पूजन और अभिषेक के अंतर्गत आज केदारनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन अभिषेक संपन्न हुआ। केदारनाथ की महिमा बताते हुये पं. विनोद दुबे ने कहा कि उत्तराखण्ड के हिमाच्छादित क्षेत्र में केदारनाथ विराजित है। वैशाख से लेकर आश्विन माह तक श्रद्धालु केदारनाथ की यात्रा कर सकते हंै। बाद में पट बंद कर दिए जाते हैं।
कार्तिक माह में शुद्ध घी का नंदा दीपक जलाकर भगवान को नीचे उखी मठ लाया जाता है। वैशाख में जब बर्फ पिघल जाती है तब केदारनाथ के पट पुन: खोल दिए जाते हैं। केदारनाथ का मार्ग अति जटिल है। फिर भी यात्री यहां पहुंचते हैं। विनोद दुबे ने कहा कि कुछ वर्षो पूर्व केदारनाथ क्षेत्र में आपदा आई लेकिन केदारनाथ शिवलिंग का कुछ भी नहीं बिगड़ा यह शिव का ही चमत्कार है। अभिषेक में सत्येन्द्र पांडे, पीयूष पांडे का पूर्ण सहयोग मिल रहा है।
मंगलवार को महोत्सव का समापन
श्री दुर्गा नवग्रह मंदिर लक्कडग़ंज के अध्यक्ष प्रमोद पगारे ने कहा कि 17 जुलाई बुधवार से प्रारंभ हुआ शिव पूजन एवं रूद्राभिषेक महोत्सव 13 अगस्त 2019 बुधवार को श्री घृष्णेष्वर ज्योर्तिलिंग के पूजन अभिषेक के साथ समाप्त होगा। हवन पूजन और प्रसाद वितरण का आयोजन वृहद स्तर पर रखा गया है। इस अवसर पर श्रद्धालूओ के लिये भण्डारा (प्रसादी) का आयोजन भी किया गया है।
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केदारनाथ ज्योर्तिलिंग का प्रलय भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया
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