क्या पुलिस करेगी सट्टे (Sattaa) के खाईबाज के खिलाफ कार्रवाई (Action)?

इटारसी। प्रशासन ने नदियों, नालों से अवैध उत्खनन (Illegal mining) करके वाहन चालकों के साथ ही वाहन मालिकों के विरुद्ध भी एफआईआर(F.I.R) दर्ज कराने का निर्णय लेकर आदेश जारी किये हैं, जिसकी सराहना की जानी चाहिए। अब यह भी उम्मीद की जानी चाहिए कि जिला पुलिस (Police) प्रशासन भी ऐसा ही एक आदेश निकाले कि सट्टा एजेंटों के साथ ही उनके आका खाईबाजों (KHAIWAL) के खिलाफ भी प्रकरण दर्ज होना चाहिए। रेत के सौदागर समाज के लिए जितने दुखदायी हैं, सट्टे जैसा अवैध कारोबार करने वाले उससे अधिक घातक हैं।
शहर में पिछले दिनों सिंधी कालोनी (Sindhi colony), सूरजगंज (Surajganj), नयायार्ड(Nayayard), पूड़ी लाइन सहित अनेक स्थानों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में नटराज प्रोटीन्स (natraj proteins) के सामने, कुबड़ाखेड़ी, धाईं-सोंठिया, पथरोटा नहर सहित अन्य गांवों में सटोरिये सक्रिय हैं। पुलिस ने अब तक सट्टे के कारोबार के खिलाफ जितनी भी कार्रवाई की हैं, सबमें केवल खाईबाज (KHAIWAL) के एजेंट ही पकड़े हैं जो या तो दैनिक वेतन पर काम कर रहे हैं, या फिर कमीशन पर। एक भी खाईबाज पर पुलिस ने हाथ नहीं डाला, जिससे जाहिर हो रहा है कि कहीं न कहीं पुलिस के संरक्षण में सट्टा चल रहा है।
सारा शहर जानता है, कि नेहरूगंज (Nehruganj) में एक मांगलिक भवन के पास से एक पुराना खाईबाज जिस पर पूर्व में कई मामले दर्ज रहे हैं, शहर में वापस आ गया है और कुछ पुराने साथियों के साथ मिलकर पुन: अपने कारोबार को तेजी से बड़ा चुका है, लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस जानबूझकर इस खाईबाज की अनदेखी कर रही है। जब रेत के अवैध कारोबार में वाहन चालक और मालिकों पर कार्रवाई हो सकती है तो फिर सट्टा एजेंट के साथ ही खाईबाज पर भी कार्रवाई क्यों नहीं? पुलिस अधीक्षक (S.P) संतोष सिंह गौर (Santosh Singh Gaur) ने हालांकि खाईबाजों पर भी कार्रवाई के संकेत दिये हैं। अब देखना है कि पुलिस कब तक इस बड़े खाईबाज पर हाथ डालती है? या फिर इसे पहले की तरह ही अभयदान मिलेगा और इसका कारोबार भी नजराना बढ़ाने के साथ जारी रहेगा?