कब है गुप्‍त नवरात्र‍ि, कैसे करे माता की उपासना जाने पूजन विधि 2022…

Post by: Aakash Katare

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गुप्‍त नवरात्र‍ि

गुप्‍त नवरात्र‍ि मे कैसे करे माता की उपसना, जाने शुभ मुहूर्त, पूजन विधि सम्‍पूर्ण जानकारी …..

गुप्‍त नवरात्र‍ि क्‍या हैं? (What is Gupt Navratri)

गुप्त नवरात्रि

प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की पूजा होती हैं। गुप्त नवरात्रों में 10 देवियों की पूजा की जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधुओं, तांत्रिकों द्वारा माँ दुर्गा को प्रसन्न और तंत्र साधना करने के लिए मनायी जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा को गुप्त रखना चाहिए। ऐसा करने से मां दुर्गा पूजा का दोगुना फल देती हैं। इसके साथ ही ज्योतिष शास्त्र में गुप्त नवरात्रि के दौरान कुछ व्रत नियमों का भी वर्णन किया गया हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता हैं।

गुप्त नवरात्रि को सिद्धि प्राप्ति के लिए शुभ समय माना जाता हैं। इसलिए इस नवरात्रि को साधुओं और तांत्रिकों की नवरात्रि कहा जाता हैं।

गुप्‍त नवरात्र‍ि का शुभ मुहूर्त (Auspicious Time of Gupt Navratri)

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ29 जून 2022 सुबह 8 बजकर 22 मिनट में शुरू
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि समाप्त30 जून 2022 सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त30 जून 2022 दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त30 जून 2022 सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक

गुप्त नवरात्रि रहस्य (Gupt Navratri Secrets)

गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की ‘दिव्य शक्तियों के रूप में पूजा की जाती हैं। यह पूजा-उपासना एकांत स्थलों विशेषकर नदी तटों पर गुप्त तरीके से की जाती हैं। पूजा का आयोजन साधु-संन्यासियों, तांत्रिकों एवं अघोरियों द्वारा माता दुर्गा को प्रसन्न करके तंत्र साधना के साथ गुप्त अनुष्ठान, हवन एवं यज्ञ इत्यादि किए जाते हैं।

यह पूजा तंत्र-मंत्र से सिद्धी हासिल करने के लिए होती हैं। इसलिए इसकी पूजा-अनुष्ठान आम लोगों से दूर एकांत में किया जाता हैं। क्योंकि गोपनीय तरीके से की गयी पूजा के पश्चात ही सिद्धियां हासिल होती हैं। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं। ऐसा माना जाता हैं कि भगवान श्री राम ने अपनी खोयी हुयी शक्तियों को पाने के लिए गुप्‍त नवरात्रि में ही पूजा की थी।

गुप्त नवरात्रि का महत्व (Significance of Gupt Navratri)

गुप्‍त न‍वरात्रि

गुप्‍त नवरात्रि को साधना की नवरात्रि माना जाता हैं। गुप्‍त नवरात्रि संतो और साधुओं के लिए बहुत खास हैं। गुप्‍त नवरात्रि में विशेष पूजा के कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती हैं। इस नवरात्रि में अघोरी, तंत्रिक लोग गुप्‍त नवरात्रि में महाविघाओं को सिद् करने के लिए उपासना करते हैं।

यह नवरात्रि मोक्ष की कामना के लिए भी की जाती हैं। गुप्त रूप से की गयी साधना बहुत फलकारी होती हैंं। इसमे आपको किसी मंदिर जाने की आवश्यकता नहीं हैं। गुप्त नवरात्रि में नियमो का पालन करते हुए आप मंत्र साधना घर पर रह कर सकते हैं। यह समय गुप्त एवं चमत्कारिक शक्तिया प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा माना गया हैं।

गुप्‍त नवरात्र‍ि व्रत कथा 

गुप्त नवरात्रि

हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे। तभी अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुखो से सदा घिरे रहते हैं। जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती मेरा पति मांसाहारी, जुआरी हैं।

लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूँ उनकी भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूँ। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वास्‍तविक शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित हैं लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्रि और भी होते हैं। जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ कहा जाता हैं।

इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी हैं। यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता हैं। तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं। ऋषि ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न करने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता हैं।

तो उसके जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता नहीं रहती उस स्त्री ने ऋषि के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की उस पर मां प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा उसके घर में सुख-शांति आ गई पति जो गलत रास्ते पर था वह सही मार्ग पर आ गया।

गुप्त नवरात्रि कैसे करें पूजन (How to do Gupt Navratri Puja)

गुप्त नवरात्रि

गुप्‍त नवरात्र‍ि में प्रकट नवरात्रि की तरह गेहूं के जवारे नहीं बोए जाते हैं और न ही घट स्थापना होती हैं। हालांकि कुछ तांत्रिक लोग ये प्रकट नवरात्रि की तरह ही सारे पूजन कर्म गुप्त नवरात्रि में भी करते हैं। गृहस्थों के लिए गुप्त नवरात्रि में व्रत, पूजन, जाप, देवी पाठ का महत्व हैं।

इस नवरात्रि के पूरे दस दिन शुद्ध आचरण, शुद्ध आहार रखना आवश्यक होता हैं। व्रती को नित्य प्रतिदिन देवी का पूजन करके दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, देवी महापुराण आदि का पाठ करना चाहिए।

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गुप्‍त नवरात्र‍ि में 10 दिन पूजा कैसे करें (How to Puja for 10 Days In Gupt Navratri)

 

पहला दिन : मंत्र एवं पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काली हकीक माला से पूजा करनी हैं। इस दिन काली माता के साथ भगवान कृष्ण की पूजा होती हैं। और मां काली की पूजा में मंत्रों का उच्चारण करना चाहिये।

गुप्त नवरात्रि का मंत्र – क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।

दूसरा दिन : मंत्र एवं पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के दूसरे दिन मां तारा की पूजा की जाती हैं। इस पूजा को बुद्धि और संतान के लिये किया जाता है। इस दिन नीले रंग की माला का जप करते हैं।

गुप्त नवरात्रि मां तारा का मंत्र – ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट

तीसरा दिन : मंत्र एवं पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के तीसरे दिन मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा की पूजा की जाते हैं। सुन्दर एवं निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती हैं। इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए।

गुप्त नवरात्रि मां त्रिपुरसुंदरी का मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:

चौथा दिन : मंत्र एवं पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी की पूजा मोक्ष और दान की जाती हैं। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ होगा। चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिये गुप्त नवरात्री के चौथे दिन की पूजा सर्वश्रेष्‍ठ मानी जाती हैं।

गुप्त नवरात्रि भुवनेश्वरी का मंत्र- ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:

पांचवे दिन : मंत्र एवं पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के पांचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा होती हैं। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता हैं। इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए। अगर किसी का वशीकरण करना हैंं तो उस दौरान इस पूजा को करना होता हैं। राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता हैं। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाने चाहिए।

गुप्त नवरात्रि माँ छिन्नमस्ता का मंत्र – श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा

छठी दिन : मां त्रिपुर भैरवी पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के छट्वे दिन नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए पूजा करनी होती हैं।

गुप्त नवरात्रि त्रिपुर भैरवी का मंत्र – ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा

सांतवा दिन : मां धूमावती पूजा

गुप्‍त नवरात्र‍ि के सातवे दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता हैं। इस दिन हकीक की माला की पूजा करें।

गुप्त नवरात्रि मां धूमावती पूजा मंत्र – धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा

आठवा दिन : मां बगलामुखी

गुप्‍त नवरात्र‍ि के माँ बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर होती हैं। इस दिन पीले कपड़े पहन कर हल्दी माला से जप करना चाहिए। अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी हैं तो माँ बगलामुखी की कृपा से जल्द ठीक हो जाएगा।

गुप्त नवरात्रि मां बगलामुखी पूजा मंत्र – ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा

नौवा दिन : मां मातंगी

गुप्‍त नवरात्र‍ि के नौवे दिन मां मातंगी की पूजा पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश होता हैं।

गुप्त नवरात्री माँ मातंगी मंत्र – क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा

दसवा दिन : मां कमला

गुप्‍त नवरात्र‍ि के दसवा दिन माँ कमला की पूजा आकाश की और मुख करके करनी चाहिए। दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा होती हैं।

माँ कमला मंत्र- क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा

नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से किए जाने का विधान हैं। किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के ‘नवार्ण मंत्र’ ‘सिद्ध कुंजिका स्तोत्र’ अथवा ‘दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र’ से हवन संपन्न करना चाहिए।

गुप्‍त नवरात्र‍ि के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

गुप्त नवरात्रि

  • गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए।
  • मां दुुुुर्गा स्वयं एक नारी हैं इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
  • नवरात्रि के दिनों में घर में कलेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती हैं।
  • नवरात्रि में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नौ दिनों तक सूर्योंदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए।
  • मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए।
  • घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहींं करना चाहिए।

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