क्‍याे मनाई जाती हैं गुरु हर गोविंद सिंह जयंती, जाने इतिहास…
गुरु हर गोविंद सिंह प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती हैं सिखों के छठवे गुरु, गुरु हर गोविंद सिंह गुरु गोविंद सिंह की जयंती, जानिये सम्‍पूर्ण जानकारी...

क्‍याे मनाई जाती हैं गुरु हर गोविंद सिंह जयंती, जाने इतिहास…

गुरु हर गोविंद सिंह जयती प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती हैं सिखों के छठवे गुरुगुरु हर गोविंद सिंह गुरु गोविंद सिंह की जयंती, जानिये सम्‍पूर्ण जानकारी…

गुरु हर गोविंद सिंह का परिचय (Introduction of Guru Har Gobind Singh)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरु हर गोविंद सिंह का जन्म अमृतसर के वडाली गांव में माता गंगा और पिता गुरु अर्जुन देव के यहां 21 आषाढ़ (वदी 6) संवत 1652 को हुआ था। सिखों के गुरु के रूप में गुरु हर गोविंद सिंह कार्यकाल सबसे अधिक था। उन्होंने 37 साल, 9 महीने, 3 दिन तक यह जिम्मेदारी संभाली थी। गुरु के जन्मोत्सव को गुरु हर गोविंद जयंती के रूप में मनाया जाता हैं। इस शुभ अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता हैं।

गुरु हर गोविंद सिंह जयंती (Guru Har Gobind Singh Jayanti)

गुरु हर गोविंद सिंह

नानक शाही पंचांग के अनुसार साल 2022 में गुरु हरगोबिंद जयंती 15 मई को मनाई जाएगी।

गुरु हर गोविंद सिंह जयंती का महत्व (Significance of Guru Hargobind Singh Jayanti)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरु गोविंद सिंह एक महान योद्धा थे। वह कविता और दर्शन और लेखन के लिये भी जाने जाते थे। उन्‍होंने मुगल आक्रमणकारियों को जवाब देने से इनकार कर दिया था और अपने धर्म की रक्षा के लिए इन्‍होंने खालसा के साथ लड़ाई लड़ी थी। उनके द्वारा लिखी गयें लेखन और कविता आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। गुरु हर गोविंद सिंह जयंती मनाने के लिए दुनिया भर के सिख गुरुद्वारों मे जा कर जुलूस निकालते हैं।

गुरु हर गोविंद सिंह का प्रारंभिक जीवन (Early Life of Guru Hargobind Singh)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरु हर गोविंद सिंह ने सदा प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश दिया। उनकी मान्यता थी कि कभी किसी को डराना नहीं चाहिए और न किसी से डरना चाहिए। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दिया।  उन्होंने अपना ज़्यादातर समय युद्ध प्रशिक्षण एवं युद्ध कला में लगाया तथा बाद में वह कुशल तलवार बाज, कुश्ती और घुड़ सवारी में माहिर हो गए।

क्‍यों रखते थे दो तलवार (Why Did You Have Two Swords)

गुरू हर गोविंद सिंह

गुरू हर गोविंद सिंह दो तलवारें रखते थे। उनकी एक तलवार का नाम पिरी और एक का नाम मिरी था। कहा जाता हैं। कि पिरी को उन्होंने आध्यात्मिक शक्ति के लिए और सैन्य शक्ति के लिए मिरी को धारण किया था।

11 साल की उम्र में ही मिल गई गुरु की उपाधि (Got The Title of Guru At The Age of 11)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरू हर गोविंद सिंह को 11 वर्ष की उम्र में गुरु की उपाधि मिल गई। उनको अपने पिता और सिखों के 5 वें गुरु अर्जुन देव ये यह उपाधि दी थी। मुगल शासक जहांगीर के आदेश पर गुरू हर गोविंद सिंह के गुरु अर्जुन सिंह को फांसी दे दी गई। उनके गुरू की मृत्‍यु के वाद गुरु हर गोविंद सिंह ने सिखों का नेतृत्‍व संभाला था।

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गुरु हर गोविंद सिंह का विवाह (Marriage of Guru Har Gobind Singh)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरु हरगोविंद सिंह ने 3 विवाह किए थे। दामोदरी, नानकी और महादेवी उनकी 3 पत्नियां थी। तीनो पत्नियों से उनकी कई संताने थी। उनके जीवित रहते ही उनके दो बड़े पुत्र स्‍वर्गवासी हो गए। उनकी पत्‍नी नानकी के पुत्र तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु बने। गुरु हरगोबिंद सिंह ने अपने पोते गुरु हर राय को सिखों का सातवां गुरु बनाया था।

12 वर्षों तक क्‍यो रहे कैद (Guru Har Gobind Singh imprisoned for 12 years)

गुरु हर गोविंद सिंह

सिखों द्वारा बगावत किए जाने के कारण मुगल शासन काल में उन्‍हें 12 वर्ष तक कैदी बनाकर रखा। और रिहा  होते ही उन्‍होंने शाहजहां के खिलाफ बगावत शुरू कर दी। और  सन 1628 में अमृतसर के निकट युद्ध में मुगल फौज को हरा दिया।  इसके बाद उन्‍हें कश्‍मीर के पहाड़ों में जाकर रहना पडा।

गुरु हर गोविंद सिंह का उपदेश (Teachings of Guru Hargobind Singh)

गुरु हर गोविंद सिंह

गुरु हरगोबिंद सिंह ने अपना अंतिम समय नजदीक देख कर आत्मा-परमात्मा संबंधी उपदेश दिये।  जिसमें उन्‍होनें बताया कि शरीर नश्वर हैं। परंतु जो सर्वव्यापक हैं। तथा अविनाशी सर्व निरंकारी आत्मा गुरु का रूप हैं। उसको पहचानें। उन्होंने सिख धर्म में एक नई क्रांति को जन्म दिया जिस पर आगे चलकर लड़ाका सिखों ने इसी उपदेश से एक विशाल सेना तैयार की।

अकाल अदालत (Famine Court)

गुरु हर गोविंद सिंह

उन्होंने अपने कार्यकाल में ही सिखों के मामलों के फैसले के लिए अकाल अदालत का निर्माण किया। सिखों की यह अदालत आज भी अमृतसर में  स्थित हैं।

गुरु हर गोविंद सिहं की कुछ रचनाओं के नाम (Name of some compositions of Guru Har Gobind Singh)

गुरु हर गोविंद सिंह

  • चंडी दी वार
  • जाप साहिब
  • खालसा महिमा
  • अकाल उस्तत
  • बचित्र नाटक
  • ज़फ़रनामा

गुरु हर गोविंद सिंह मृत्यु  (Guru Har Gobind Singh Death)

गुरु हर गोविंद सिंह

मुगल बादशाह औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके बेटे बहादुर शाह को उत्तराधिकरी बनाया गया था। बहादुर शाह को बादशाह बनाने में गुरु गोबिंद जी ने मदद की थी। इसकी वजह से बहादुर शाह और गुरु गोबिंद जी के बीच काफी अच्छे संबंध बन गए थे। वहीं सरहद के नवाब वजीद खां को गुरु गोविंद सिंह और बहादुर शाह की दोस्ती बिल्कुल पसंद नहीं थी  इसलिए उसने अपने दो पठानो से गुरु हर गोविंद सिंह की हत्या की साजिश की और 7 अक्‍टूबर 1708 को महाराष्ट्र के नांदेड़ में गुरु गोविंद सिंह की मृत्‍यु कर दी।

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