इटारसी। आईटीआई पथरोटा के घूसखोर प्राचार्य गोवर्धन अहिरवार एवं क्लर्क शेखर पुत्र टीएम गुपचुप को न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधी केएन सिंह की अदालत ने रिश्वतखोरी के आरोप में दोषी पाकर 4-4 साल की सजा से दंडित किया है। दोनों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(डी) व सहपठित धारा 13(2) के अधीन 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000-2000 रूपये के अर्थदंड एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी के अधीन 3-3 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 2000-2000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।
उपसंचालक अभियोजन गोविन्द शाह ने बताया कि शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, पथरौटा में कार्यरत प्राचार्य एवं सहायक गे्रड 2 ने 14 फरवरी 2017 से 15 फरवरी के बीच अपने पदों का दुरूपयोग कर आईटीआई में पदस्थ हार्डवेयर मैकेनिक लखनलाल कोरी से वेतन निकालने के नाम पर 5 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी, फरियादी दोनों आरोपियों को रिश्वत नहीं देना चाहता था और उन्हें रंगे हाथों पकड़वाना चाहता था। इसे लेकर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त भोपाल को शिकायत हुई थी। उन्होंने निरीक्षक अमरेश बोहरे को कार्रवाई के लिए भेजा था। बोहरे की टीम ने आरोपियों को रंगे हाथों रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। लोकायुक्त से विवेचना एवं वैज्ञानिक साक्ष्यों की जांच समेत न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया था। जिस पर फैसला देते हुए कोर्ट ने प्राचार्य अहिरवार एवं क्लर्क शेखर गुपचुप को दोषी पाकर चार-चार साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।
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घूसखोर प्राचार्य और बाबू को सजा
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