ज्योर्तिलिंग पूजन से दूर होते हैं कष्ट – दुबे
इटारसी। कलयुग में कामी और धर्मी है तो आस्तिक और नास्तिक भी है। पूरे ब्रह्मांड में भारत भूमि ही ऐसी पवित्र माता है जिसमें 33 करोड़ देवी देवता वास करते हैं। सभी सुख शांति देने वाले हंै। इन सभी में भगवान शिव का अपना अलग स्थान है। कलयुग में भी आस्था और धर्म के प्रति भटकाव न हो इस हेतु भगवान के लिंग स्वरूप में 12 ज्योर्तिलिंग देश के अलग-अलग राज्यों में है।
उक्त विचार अपने प्रवचन के दौरान आयोजन के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि सावन मास में शिवजी हंसमुख प्रवृत्ति के रहते है गुस्सा कम और स्नेह के भाव ज्यादा रहने से वे भक्तों पर निरंतर कृपा करते हैं। भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की कथा सुनाते हुए कहा कि महाराष्ट्र के पूणे जिले के राजगुरू नगर (खेड़) तहसील से धोड़ेगांव के आगे सहयाद्रि पर्वत माला में भीमाशंकर की पहाडिय़ा है इसी पर्वत श्रृंखला में भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग का वास है। भीमाशंकर ज्योर्तिलिंग की कथा से त्रिपुरासुर राक्षस से वध की कथा भी जुड़ी हुई है। प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नाम का राक्षस बड़ा उनमत हो गया था। स्वर्ग, धरती और पाताल में उसने भारी उत्पाद मचा रखा था सभी देवगण व्याकुल हो चुके थे तब भगवान महादेव त्रिपुरासुर का वध करने स्वंय निकले उन्होंने विशाल भीमाकाय शरीर धारण किया उनका रूद्रावतार देखकर त्रिपुरासुर भयभीत हो गया दोनों में कई दिनो तक युद्ध चलता रहा। जब त्रिपुरासुर ने भगवान शंकर को समाप्त करने का मन में विचार किया तो शंकर ने भीम का विशाल रूप धारण किया और त्रिपुरासुर का वध किया इस कारण भी इस स्थान को भीमाशंकर कहते है।