बहुरूपिया और लैंप डांस विशेष आकर्षण का केन्द्र होंगे
इटारसी। इस बार देशज का अंदाज ही जुदा होगा। दो खास आकर्षण रहेंगे जो न सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों के लिए भी कौतुहल का विषय रहेंगे। एक नया ग्रुप लैम्प डांस लेकर आ रहा है, जो गांवा का पारंपरिक नृत्य कहा जाता है। कलाकार देशज 2019 की तैयारी में जोरशोर से जुटे हुए हैं। पांच दिनों तक चलने वाले इस लोकरंग में तीस समूह अपने-अपने प्रांतों की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करने आ रहे हैं।
2 नवंबर को देशज 2019 का आगाज होगा गांधी मैदान पर पंजाब के लोक संगीत से, जिसमें अमृतसर की बाबा सिस्टर्स फोक एवं सूफी गायन शैली का अंदाज पेश करेंगी। इसी दिन गुदुम बाजा की प्रस्तुति आदिवासी धुलिया जनजातीय सांस्कृतिक लोक नृत्य दल डिंडोरी मप्र द्वारा की जाएगी। लमबाड़ी नृत्य तेलंगाना की प्रस्तुति चंदना जनपद नृत्य एकेडमी हैदराबाद, झिझिया नृत्य लेकर विक्रांत कुमार एवं दल मधुबनी बिहार से तो बधाई नृत्य लेकर मप्र के सोगर से लोक दर्पण पारंपरिक एवं समकालीन कलारूपों की संस्थान के कलाकार प्रस्तुति देंगे।
3 नवंबर को लोक संगीत छत्तीसगढ़ की प्रस्तुति लोकरंग अर्जुनदा रायपुर, सेरा नृत्य मप्र के श्रीराम सेवक किसान लोककला विकास समिति दमोह, मिजोरम के चेराव एवं चेलम नृत्य की प्रस्तुति छींगा बैंग बंग मिजो एसोसिएशन आईजॉल के कलाकार करेंगे। जौनसारी जनजाति लोक कला समिति चकराता द्वारा उत्तराखंड का तांदी नृत्य, शिवमधु एवं दल रामनगर कर्नाटक द्वारा पूजा कुनिथा की प्रस्तुति और सिद्धि धमाल ग्रुप अमोद गुजरात द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी।
4 नवंबर को श्री करुम्बा कुथियोता कलारी चेट्टीकुलमगरा केरल द्वारा कुतियोट्टम, कान्हा अकादमी मथुरा उप्र द्वारा रास एवं चरकुला नृत्य, मालवा लोक कला केन्द्र उज्जैन द्वारा कान्ह गुवाल्या एवं मटकी नृत्य, गंजम फोल्क डांस सेंटर नरेन्द्रपुर ओडीसा द्वारा रनपा नृत्य गवपुरुष कला मंडल गोवा द्वारा महेश कावडिय़ा के नेतृत्व में लैम्प डांस और आविष्कार एकेडमी आफ परफॉरमिंग आट्र्स अहमदाबाद गुजरात द्वारा गरबा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी।
5 नवंबर को सूत्रधार कलामंडल कुल्लू हिमाचल प्रदेश द्वारा कुल्लू नाटी नृत्य, संगीत कला संगम इम्फाल मणिपुर की प्रस्तुति, कुसुम कछावा दल जोधपुर राजस्थान द्वारा भवई नृत्य, नवयुग हरियाणा सांस्कृतिक दल रोहतक द्वारा फाग नृत्य, स्ने लॉयल क्लब तवांग द्वारा याक नृत्य अरुणाचल प्रदेश की प्रस्तुति होगी।
6 नवंबर को समापन दिवस पर मप्र के भगोरिया नृत्य से आगाज होगा। इसके अलावा महाराष्ट्र की लावणी लेकर आएंगे जय गणेश लोककला मंच पुणे, संगराई मोग नृत्य त्रिपुरा अगरतला के संगराई डांस एकेडमी, बच नगमा पेश करेंगे गुलाम मोहम्मद चोपाल एवं दल श्रीनगर जम्मू कश्मीर, काई सिलम्बू अट्टम नृत्य एम काली एवं दल तंजावुर तमिलनाडु द्वारा पेश किया जाएगा और अंतिम प्रस्तुति रहेगी नियाजी-निजामी ब्रदर्स दिल्ली की कव्वाली की।
ये खास आकर्षण रहेंगे
देशज 2019 में अलग-अलग राज्यों के कलाकार अपने राज्य की कला एवं संस्कृति का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस बार गोवा की टीम महेश कावडिय़ा के नेतृत्व में लैंप डांस लेकर आ रही है। इसमें सिर पर दीया रखकर पिरामिड बनाते हैं जो काफी आकर्षक होता है। यह दल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने कार्यक्रम दे चुका है, जिसमें दक्षिण अफ्रीकी देश सूडान और नाईजीरिया शामिल हैं। महेश का कहना है कि वे नयी पीढ़ी तक गोवा के कल्चर को पहुंचाने के लिए वर्कशाप भी करते हैं। इटारसी के कार्यक्रम में भी कुछ नया देखने को मिलेगा।
राजस्थान के बांदीकुई जिला दौसा के अकरम खान की पेशकश काफी दिलचस्प रहने वाली है। सात पीढ़ी से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रोग्राम पेश कर रहे अकरम का कहना है कि यह परंपरा सात पीढ़ी से निभाई जा रही है तथा वे और उनके अन्य पांच भाई बहुरूपिया कला को जिंदा रखने की कोशिश में जुटे हैं। अकरम के साथ उनके भाई फिरोज, फरीद, नौशाद, शमशाद और सलीम भी विभिन्न किरदार में पूरे छह दिन गांधी मैदान में दर्शकों को देखने को मिलेंगे। कोई शंकर बनेगा तो कोई नारद और कोई चार्ली चैपलिन या पीके के रोल में दिखेगा।