धान रोपाई के लिए बेहतर विकल्प है पेडी ट्रांसप्लांटर (Paddy transplanter)

धान रोपाई के लिए बेहतर विकल्प है पेडी ट्रांसप्लांटर (Paddy transplanter)

होशंगाबाद। उप संचालक कृषि जितेन्द्र सिंह एवं जोनल कृषि अनुसंधान केन्द्र के संचालक पीसी मिश्रा (P.C.Mishra) ने आज ग्राम पतलईखुर्द के किसान शैलेन्द्र जोशी के प्रक्षेत्र में धान रोपाई मशीन (पेडी ट्रांसप्लांटर) (Paddy transplanter)का चलित प्रदर्शन को देखा। इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी सहित बड़ी संख्या में क्षेत्र के किसान सहित सहायक संचालक कृषि जेएल कास्दे, योगेन्द्र बेड़ा, अर्चना परते, गोविंद मीना, आरएल जैन, अश्विनी सिंह, व्हीके परसाई, विनोद यादव, दीप्ति अतुलकर, महिंद्रा के इंजीनियर रोहित कौशल, मनीष हनेजा, श्री परमजी आदि उपस्थित रहे। यह प्रदर्शन कृषि अभियांत्रिकी पवारखेड़ा एवं महिंद्रा कंपनी के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया था।
जिले में धान की फसल के प्रति कृषकों के बढ़ते रूझान को देखते हुए तथा धान की रोपाई में मजदूरो की कमी की समस्या के समाधन हेतु धान रोपाई मशीन एक बेहतर विकल्प है। इसके द्वारा प्रतिदिन 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल अर्थात 5 एकड़ में धान की रोपाई की जा सकती है। इस मशीन में पौधे से पौधे की दूरी को आवश्यकतानुसार व्यवस्थित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष ग्राम पलासी के कृषक अंजनि अग्रवाल के यहां धान रोपाई मशीन से धान रोपई का नवाचार किया था जिसके परिणाम बहुत अच्छे आये थे। कृषक अंजनि अग्रवाल का कहना है कि गत वर्ष धान रोपाई मशीन से रोपाई करने पर मजदूरों से धान रोपाई करने की तुलना में कम लागत में लगभग 20 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ था। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भी उन्होंने पेडी ट्रांसप्लांटर
(Paddy transplanter)से धान रोपई का कार्य अपने प्रेक्षेत्र में किया है। बताया कि धान रोपई मशीन का उपयोग करने पर प्रति एकड़ लगभग एक हाजर रुपए खर्चा आता है जबकि मजदूरों से रोपई कराने पर एक एकड़ पर लगभग 3500 से 4 हजार रुपए खर्च आता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कोविड-19 के कारण मजदूरों की समस्या/कमी होने से रोपाई कार्य में लगभग 5 हजार रुपए का खर्च होगा। उन्होंने बताया कि सामान्यत: मजदूरों से धान रोपाई कराने से लगभग 20 क्विंटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है, वहीं पेडी ट्रांसप्लांटर (Paddy transplanter)से रोपाई कराने पर 25 क्विटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है। इस विधि से नर्सरी विशेष तरीके से तैयार की जाती है, जिसे चटाईनुमा नर्सरी कहते हैं। इसकी यह विशेषता है कि इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से पौधे या पौधों को पहुंचाया जा सकता है। नर्सरी तैयार करने में कम स्थान तथा सामान्य रौपाई की विधि की तुलना में बीज की मात्रा कम लगती है।

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