नवाचार अंतर्गत केज कल्चर से किया जा रहा मछली पालन

नवाचार अंतर्गत केज कल्चर से किया जा रहा मछली पालन

इटारसी। आदिवासी विकासखंड केसला में मछली पालन के नवाचार के अंतर्गत केज कल्चर से मछली पालन किया जा रहा है। इसमें कम स्थान में अधिक मछली का पालन किया जा सकता है और न तो बड़ी मछली, छोटी का शिकार करती है और ना ही मछली चोरी होने का डर रहता है। इसमें एक बंद पिंजरे में मछली पालन होता है। ब्लाक के ग्राम चिचवानी में यह नवाचार किया जा रहा है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, जिला पंचायत होशंगाबाद द्वारा गठित स्व सहायता समूहो एवं सहकारी समिति के सदस्यों द्वारा आदिवासी विकासखंड केसला के दूरस्थ ग्राम चिचवानी में स्थित शासकीय तालाब में नवाचार के रूप में मछली पालन विभाग की नीलक्रांति योजना अंतर्गत केज कल्चर विधि से मछली पालन की शुरूआत की गई है। इस विधि के माध्यम से तालाब में लगभग 96 वर्ग मीटर के तैरते एक बंद पिंजरे में मछली पालन किया जाता है। इस तकनीक की मदद से कम क्षेत्र में अधिक मछलियों का पालन किया जा सकता है और वह सुरक्षित भी रहती है, न तो बड़ी मछली छोटी मछली का शिकार करती है और न ही चोरी होने का डर रहता है।
बता दें कि पूर्व में समूह के सदस्य पांरपरिक पद्धति से पछली पालन करती थीं, जिससे उन्हें अपेक्षाकृत कम उत्पादन एवं आमदनी प्राप्त हो रही थी। आजीविका मिशन के प्रयासों से मत्स्य पालन विभाग द्वारा तकनीकी प्रशिक्षण एवं केज निर्माण हेतु अनुदान प्रदाय किया गया। समूह सदस्यों द्वारा आजीविका लोन एवं बैंक ऋण की राशि 2,50,000 रुपए से गतिविधि संचालित की जा रही है। वर्तमान में उन्नत प्रजाति की पंगेशियश नामक 10 हजार मछलियों का पालन केज कल्चर विधि द्वारा किया जा रहा है। मई तक लगभग 8 टन मछली उत्पादन की संभावना है, जिनका अनुमानित विक्रय मूल्य 10 लाख रुपए तक होगा। इस गतिविधि से समूह को लगभग 4 से 5 लाख रुपए की अनुमानित आय होने की संभावना है।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!