नीलगिरि के पेड़ हटाने का चलेगा अभियान
इटारसी। विश्व पर्यावरण दिवस पर शहर के कुछ पर्यावरणविदों ने गिरते जलस्तर पर चिंता जताते हुए इसके लिए नीलगिरि के पेड़ को बड़ा कारण माना है और इन्हें हटाने की मांग शासन प्रशासन से करते हुए इनके स्थान पर अन्य वृक्षों को लगाने का अभियान प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस है। आज के दिन विश्व के सभी देशों में पर्यावरण के विकास के लिए वृक्ष लगाये जाते हैं। लेकिन, कुछ वृक्ष ऐसे होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं, इनमें प्रमुख हैं नीलगिरि का वृक्ष। अंग्रेजी में इसे यूकेलिप्टिस कहा जाता है। यह वृक्ष प्रतिदिन 24 गेलन, यानी 120 लीटर पानी पीता है जिससे आबादी क्षेत्रों में जल संकट भी बना रहता है। इटारसी शहर में भी नीलगिरि के अनेक पेड़ हैं जो जलसंकट का कारण बन रहे हैं। एमजीएम कालेज से न्यास कॉलोनी रोड पर अंतिम छोर तक करीब आधा सैंकड़ा नीलगिरि के पेड़ लगे हैं। इस पर्यावरण विनाशक वृक्ष को हटाने के लिए शहर के कुछ जागरुक जन आगे आये हैं। इन लोगों ने सामूहिक चिंतन किया है। सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र मालवीय ने नीलगिरि से होने वाले नुकसान बताते हुए कहा कि वर्तमान में हमारे देश की जलवायु वृक्षारोपण के लायक नहीं है। यह कार्य हरियाली अमावस्या से प्रारंभ करेंगे।
साहित्यकार विनोद कुशवाह ने अपनी कविता के माध्यम से ही पर्यावरण की व्याख्या करते हुए कहा कि लम्हों ने खता की थी, सदियों ने सजा पायी है। युवा पत्र लेखक मंच के अध्यक्ष राजेश दुबे ने कहा कि शहर में व्याप्त जलसंकट के लिए नीलगिरि का वृक्ष प्रमुख रूप से कारण है। इन्हें हटाने के लिए हम कारगर अभियान प्रारंभ कर रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर शहर के पर्यावरणविदों की चिंता को लेकर आयोजित इस चिंतन-मनन में न्यास कालोनी के गणमान्यजन भी बड़ी संख्या में मौजूद थे।