
पंचायत सचिव संगठन ने दिया पूर्व सीएम को ज्ञापन
इटारसी। मप्र पंचायत सचिव संगठन ने बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर पंचायत सचिवों को 1 अप्रैल 2018 में लागू छटवे वेतनमान की गणना में त्रुटिपूर्ण रूप से सेवाकाल की गणना 2008 से किये जाने एवं छटवे वेतनमान की गणना नियुक्ति दिनांक से मानकर शुद्ध रूप से करने की मांग की है।
संगठन के प्रदेश महामंत्री नरेन्द्र सिंह राजपूत के नेतृत्व में पंचायत सचिवों ने यहां एमईएस बैरियर के पास पूर्व मुख्यमंत्री को आर्डनेंस फैक्ट्री जाते समय एक ज्ञापन सौंपा है। श्री राजपूत ने बताया कि प्रदेश के 90 फीसद पंचायत सचिव 1995-96 में नियुक्त हुए हैं। राज्य शासन ने संगठन की मांग पर 1 अप्रैल 18 से वेतनमान का लाभ दिये जाने के आदेश प्रसारित किये थे वहीं संचालनालय स्थानी सब परीक्षा निधि से भी पंचायत सचिवों को वेतनमान निर्धारण में सेवाकाल की गणना नियुक्ति दिनांक से मानकर काल्पनिक रूप से वृद्धि जोड़ते हुए 1 अप्रैल 18 को वेतनमान का लाभ देकर फिक्सेशन करने हेतु कई पत्र पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को दिये थे लेकिन निर्देशों को नजरअंदाज करते हुए सचिवों का वेतन निर्धारण सेवाकाल की त्रुटिपूर्ण गणना करायी जिससे सचिवों को 14 साल की सेवाओं का नुकसान हुआ, वहीं वेतन में भी क्षति हो रही है।
श्री राजपूत ने कहा कि कांग्रेस के वचनपत्र में शामिल पंचायत सचिों को सातवे वेतनमान एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में संविलियन और पीसीओ पद पर प्रमोशन की मांग का एक ज्ञापन भी दिया गया है। उन्होंने कहा कि पंचायत सचिव शासन की जनहितैषी योजनाओं का जमीनी स्तर पर लगातार क्रियान्वयन कर रहे हैं तथा आम ग्रामीण जनता को शासन की योजनाओं से लाभान्वित कर रहे हैं। अत: पंचायत सचिवों को वचनपत्र में शामिल वचनों पर अमल किया जाए।
इनका कहना है…!
हमने पूर्व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा है जिसमें कहा है कि कांग्रेस ने अपने वचनपत्र में जो वादे किये हैं, उसमें पंचायत सचिवों की मांगें भी शामिल हैं। उन पर तत्काल आदेश प्रसारित किये जाएं। पंचायत सचिव ग्रामीण विकास के हर कार्य में अपनी ड्यूटी करते हैं और उनको तीन-तीन माह वेतन के लिए इंतजार करना पड़ता है।
नरेन्द्र सिंह राजपूत, महामंत्री पंचायत सचिव संगठन