पुराने छोड़ो, नए भवनों में भी नहीं है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
इटारसी। कहावत है, जब प्यास लगती है तभी कुए की याद आती है। ऐसा ही कुछ अब देखने में आने लगा है। हालांकि देर आये, दुरुस्त आए वाली कहावत फिलहाल सही साबित हो रही है। अभी पानी और पर्यावरण को लेकर इतनी विकराल स्थिति नहीं बनी है कि जीवन संकट में पड़ जाए, इससे पहले चेतना जागृत होने लगी है।
नर्मदांचल जल अभियान ने एक साथ पानी और पर्यावरण की दिशा में करीब डेढ़ माह पूर्व काम प्रारंभ किया था और इस अभियान के तहत अब तक हजारों वर्गफुट में वाटर हार्वेस्टिंग की जा चुकी है। हाल ही में विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा ने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए आगामी पांच वर्षों की कार्ययोजना पर काम प्रारंभ कर दिया है। इस दौरान ही नगर पालिका पांच हजार पौधे रोपने की तैयारी कर रही है।
अब तक नहीं थे जागृत
वर्षों पहले शासन ने एडवाइजरी जारी कर दी थी कि नए बनने वाले भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी है, मगर इस साल जिले में कम बारिश होने से लोग बूंद-बूंद पानी को तरसे, हर तरफ पानी के लिये हाहाकार की स्थिति निर्मित हो गई है, उसके बाद भी अफसरों ने बिल्डर्स को इसके लिए सख्ती से हिदायतें नहीं दीं। नगर पालिका के अधिकारी तो सरकारी आदेश की खुलकर धज्जियां उड़ाते रहे हंै। नए भवनों में तो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है, उसके बाद भी कुछ पैसों के लिये जांच में लापरवाही और लोगों में जागरूकता का अभाव होने से आज भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के आदेशों पर अमल नहीं हो रहा है। नगर पालिका नए बनने वाले भवनों की अनुमति तो आसानी से प्रदान करती है, मगर भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लग रहे हैं कि नहीं इस और ध्यान देने की कोई अधिकारी जहमत नहीं उठा रहा है।
ये होता है नियम
भूजल स्तर बढ़ाने के लिये 140 वर्गफीट से बड़े मकान में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जरूरी है। इसके लिये नगर पालिका की और से सिक्योरिटी मनी भी जमा की जाती है, जो मकान का निर्माण होने के बाद वापस कर दी जाती है। लेकिन ऐसे बहुत कम मकान मालिक हैं जो वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाते हंै। इसका मुख्य कारण नगर पालिका में बैठे मकान की एनओसी जारी करने वाले अधिकारियों की मिलीभगत से होता है। वे मकान मालिक से कुछ पैसे लेकर झूठी रिपोर्ट लगा देते हैं कि मकान में रेन वाटर हार्वेस्टिंग हो गयी और मकान मालिक को पैसे वापस मिल जाते हैं। इन अधिकारियों और जनता की लापरवाही का नतीजा सबके सामने आ रहा है, लगातार गिरता भूजल स्तर इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है। जनता थोड़े से लालच में न आकर मकान में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जिससे बारिश में जमीन प्यासी न रह पाए।
सामाजिक संस्थाएं आ रहीं आगे
कुछ समाज सेवी संस्थाए ने लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक कर रही ताकि भविष्य में पानी की समस्या न आए। वे नए भवनों के साथ ही पुराने भवन में रहने वाले लोगो को जागरूक करने की कोशिश के साथ ही पौधरोपण के प्रति जागरूक एवं सूख चुके जलस्रोत का गहरीकरण कर रही है, इटारसी के कुछ प्रकृति प्रेमी ने सोशल मीडिया पर नर्मदांचल जल अभियान का ग्रुप बनाया है जिसके जरिये वे लोगों को पानी और पेड़-पौधों के प्रति जागरूक कर रहे हंै। उनका मानना है कि घने जंगलों की कमी से गर्मी के दिनों की संख्या बढ़ रही और बारिश का मौसम कम हो रहा है। पर्यावरण को संतुलित करने बहुत बड़े पैमाने पर पौधरोपण में हर साल कर अफसर वाहवाही लूटने से बाज नहीं आते हंै। परंतु इतने बड़े पैमाने किये जाने वाले पौधरोपण के बाद कितने पेड़ जीवित रहते हैं, इसकी जमीनी हकीकत इनकी पोल खोलती नजर आती है।