भरत चरित्र हमें समर्पण सिखाता है : प्रज्ञा भारती
इटारसी। ग्राम तारारोड़ा में व्यासपीठ से श्रीराम कथा पर प्रवचन देते हुए अंतराष्ट्रीय रामकथा कार कागशीला पीठाधीश्वर श्रीमहंत प्रज्ञा भारती ने भरत चरित्र पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि संपत्ति का बंटवारा करने वाला भाई नहीं होता भाई उसे कहते हैं जो अपने भाई की विपत्ति का बंटवारा करें। रामायण के भाई में और महाभारत के भाई में इतना ही अंतर है। महाभारत का भाई अपने भाई की संपत्ति का बंटवारा करना चाहता है और यहां तक की सुई की नोंक के बराबर जमीन भी नहीं देना चाहता परंतु रामायण का भैया अपने भाई के राज्य की सुई की नोक के बराबर भी जमीन नहीं लेना चाहता। उन्होंने कहा कि वर्तमान भाई भाइयों में जो भेद हो रहा है उसका मूल कारण संपत्ति ही है। परंतु श्रीरामचरित मानस हमें यह संदेश देता है की भाई-भाई में परस्पर प्रीति कैसी हो ।
उन्होंने कहा कि आज के समय में संयुक्त परिवारों का प्रचलन समाप्त सा होता जा रहा है एक मां के उदर में रहने वाले चार भाई आज एक घर में नहीं रह पा रहे इसका मूल कारण है की वे संपत्ति चाहते हैं एवं संपत्ति बंटवारे के लिए भाई से बैर करते हैं और माता पिता बटवारा का भी त्याग कर देते हैं परंतु वे भूल जाते हैं कि संपत्ति सुमति से प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि भाई का सम्मान करने वाले श्री राम ने विजय प्राप्त की और भाई का अपमान करने वाले रावण ने पराजय का मुंह देखा। श्रीमहंत प्रज्ञा भारती ने सम्पूर्ण रामचरितमानस में भरत के कई उदाहरण दिए और उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ने अपनी पूरी लीला के दौरान भरत को अपना सगा भाई बताया और चाहे हनुमान हो या कोई अन्य प्रमुख पात्र उन्होंने उसे अपने भाई भरत के समान ही पुकारा। मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम एवं भरत का चरित्र पूरे संसार में दो भाईयों के बीच सच्चे प्यार के रूप में जाना जाता है। इसलिए भरत के चरित्र को उत्तम कहा गया है।