भागवत भक्ति, ज्ञान, बैराग्य को जगाती है- पं.रघुनन्दन शर्मा

इटारसी। ज्ञान एवं बैराग्य कही और नही बल्कि हमारे अंदर ही है। नारद जैसा कोई संत जीवन में श्रीमद् भागवत की कथा को हमारे अंतर्मन में बैठा दे तो सोये हुये ज्ञान बैराग्य जाग जाते है। जीवन में विलासी होने से भक्ति वृद्ध हो जाती है। वृन्दावन जैसा हमारा मन भक्तिमय हो जाये तो भक्ति भी युवा हो जाती है। उपरोक्त उद्गार श्री द्वारकाधीश बडे मंदिर में जायसवाल परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर कथा वाचक पं. रघुनंदन शर्मा ने कही। शनिवार सुबह आयोजक परिवार द्वारा इंगल चाल से भव्य कलशयात्रा निकाली गई जो कथास्थल श्री द्वारकाधीश बडे मंदिर पहुंची।
पं. अनिल मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रारंभ दिवस पर आयोजक परिवार द्वारा भव्य कलशयात्रा के बाद कथास्थल पर भगवान द्वारकाधीश एवं व्यासगादी पर बैठे पं. रघुनंदन शर्मा का पूजन किया गया। प्रारंभ दिवस की कथा में सिवनी मालवा से पधारे कथावाचक पं. रघुनंदन शर्मा ने कथाश्रवण करने आए श्रद्धालुओ को धुंधकारी प्रेत के मोक्ष के वर्णन करते हुये कहा कि जिसके आचरण को देखने से मन विकृत हो जाये वही धुंधकारी है। भगवत ज्ञान वैराग्य और भक्ति को जगाने वाली है। कथा श्रवण महात्म्य बताते हुये कथा व्यास में कहा जैसे में हमारा शरीर साथ दे, उस विधि से भागवत श्रवण करना चाहिए। क्योंकि श्रीमदभागवत की कथा जन्मजमान्तर के पुण्यो से प्राप्त होती है। प्रारंभ दिवस पर कथा सुनने बडी संख्या में आमजन श्री द्वारकाधीश बडे मंदिर पहुंचे थे। आयोजक परिवार के अनुसार प्रतिदिन दोपहर डेढ बजे से कथा का वाचन किया जाएगा।

CATEGORIES
TAGS
Share This
error: Content is protected !!