इटारसी। संसार में आने वाले प्रत्येक मनुष्य को मानव मूल्यों का ज्ञान श्रीमद् भागवत कथा से प्राप्त होता है। उक्त उद्गार नर्मदांचल के विद्वान कथावाचक पं. जगदीश पांडेय ने होशंगाबाद रोड पर भैरव मंदिर के पास स्थित प्रिंस गार्डन में आयोजित कथा समारोह के प्रथम दिन व्यक्त किये। कथा प्रारंभ होने से पूर्व कृषि उपज मंडी परिसर स्थित श्री दुर्गा मंदिर से कलश यात्रा निकाली गयी जो नेशनल हाईवे से होकर कथा स्थल तक पहुंची।
नेशनल हाईवे से धौंखेड़ा मार्ग पर भैरव मंदिर के सामने स्थित प्रिंस मैरिज गार्डन के सभागार में सामाजिक कार्यकर्ता अमृतलाल पटेल की स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ समारोह में पहले दिन उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्रीमद् कथा मर्मज्ञ पं. जगदीश पांडेय ने श्रीमद् भागवत महात्म से अवगत कराते हुए कहा कि महर्षि वेद व्यास श्रीमद् भागवत महापुराण की रचना परमात्मा के उस मानव जीवन दर्शन पर की है जो हमें अपने मानव मूल्यों का ज्ञान प्रदान करती है, और जीवन के अंत में मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। श्री पांडेय ने गोकर्ण एवं धुंधकारी भाईयों की कथा के माध्यम से मोक्ष प्रसंग का सटीक वर्णन करते हुए कहा कि जहां गोकर्ण धर्म प्रवृत्ति में लीन रहकर परमात्मा की भक्ति करते थे, तो वहीं उनका भाई अधर्म प्रवृत्ति का था जिसकी एक दिन अकाल मृत्यु हो जाती है और वह प्रेत योनी में चला जाता है। जब गोकर्ण उसकी स्मृति में भागवत कथा कराते हैं और कथा स्थल पर सात गांठ वाला एक बांस रखा जाता है जिसमें धुंधकारी की आत्मा समा जाती है। जब भागवत कथा सप्ताह प्रारंभ होता है तो प्रत्येक दिन बांस की एक गठन क्रेक हो जाती है। सात दिन में बांस की सातों गठने चटक जाती है तो बांस टूट जाता है और उसमें समाहित धुंधकारी की आत्मा मोक्ष पाकर परमात्मा में विलीन हो जाता है। इसी प्रकार मोक्ष के अन्य ज्ञानपूर्ण प्रसंगों से भी पंडित जगदीश पांडेय ने श्रोताओं को अवगत कराया। कथा के प्रारंभ दिवस पर एक कलश यात्रा निकाली गई जो कृषि उपज मंडी परिसर स्थित दुर्गा मंदिर से प्रारंभ हुई। इसमें मुख्य यजमान विनोद मिश्रीलाल पटेल ने अपने सिर पर श्रीमद् भागवत महापुराण धारण की तो महिलाओं ने कलश धारण किये थे। यह शोभायात्रा गाजे-बाजे के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग से कथा स्थल पर पहुंचकर संपन्न हुई। कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगी।
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मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है श्रीमद् भागवत : पांडेय
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