राजा न खुद खाए और न दूसरों को खाने दे : प्रज्ञा भारती

इटारसी। ग्राम तारारोड़ा में समस्त ग्रामवासियों के द्वारा अपनी धार्मिक सद्भावना का परिचय देते हुए गांव के अतिप्राचीन माता मंदिर का जीर्णोद्धार कराया एवं इस मंदिर में माता दुर्गा एवं भैरव बाबा की प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा समारोह प्रारंभ हो गया है।
बुधवार को विशाल परिसर में बने कथा मंच से अंतराष्ट्रीय रामकथाकार साध्वी प्रज्ञा भारती कागशिला पीठाधीश्वर श्रीधाम वृृंदावन के द्वारा प्रवचन प्रारंभ किए गए। ग्रामवासियों के द्वारा उनका पुष्पहारों से स्वागत किया एवं रामचरितमानस का पूजन अर्चन किया गया। साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि चाहे लोकशाही अथवा राजशाही हो, राजा को निष्पक्ष भ्रष्टाचार रहित होना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने 5 साल पहले एक संकल्प लिया था, न तो मैं खाउंगा और न किसी को खाने दूंगा और उन्होंने स्वयं को राष्ट्र एवं प्रजा का चौकीदार बताया था।
उन्होंने कहा कि राजा का यह कर्तव्य होना चाहिए कि प्रजा को सुखी रखें न खुद भ्रष्टाचार करें और न दूसरों को करने दे इसका सीधा अर्थ यह हुआ कि न खुद खाएं और न दूसरों को खाने दें। इसका असर लोकतंत्र में दिखाई दिया और प्रजा ने दोबारा उन्हें ही प्रधानमंत्री बनाया। साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि रामचरितमानस हमें अपने जीवन में कैसा व्यवहार रखना है इसका ज्ञान कराती है। राजा दशरथ के राज में सुमंत्र जैसे मंत्री थे और वशिष्ठ जैसे विद्वान राज पुरोहित थे।
आज हम और आप हजारों साल पहले चक्रवती सम्राट राजा दशरथ के यहां मानव रूप में अवतार लेने वाले प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर उनके राज तिलक तक की कथा 7 दिनों में पूरी करने का प्रयास करेंगे, परंतु रामचरितमानस के बालकांड से उत्तरकांड तक पहुंचने में कथा कहां विश्राम लेगी कहां नहीं जा सकता लेकिन फिर भी वह पूरा प्रयास करेगी कि रामचरितमानस के प्रमुख बिंदुओं को आप तक पहुंचाया जा सके। साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने संवत् 1631 में रामनवमी के दिन रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। 2 वर्ष 7 माह 26 दिन में ग्रंथ की समाप्ति हुई और संवत् 1633 के रामविवाह के दिन सातों कांड की रचना पूरी की गई। इसके पूर्व पंचकुण्डीय शतचंडी महायज्ञ एवं श्रीराम कथा की विशाल शोभायात्रा ग्राम तारारोड़ा में निकाली गई, जिसमें साध्वी प्रज्ञा भारती शामिल हुई। गांव में शोभायात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। गुरूवार से पंचकुण्डीय शतचंडी महायज्ञ भी यज्ञाचार्य पं. रामगोपाल त्रिपाठी के मार्गदर्शन में प्रारंभ हो जाएगा। गांव के 100 से अधिक महिला पुरूष बुधवार को मां नर्मदा में स्नान करके आए एवं मां नर्मदा का जल लाकर यज्ञ भूमि को पवित्र किया।

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