रामावतार के पीछे नारद का श्राप भी एक कारण : प्रज्ञा भारती

इटारसी। ग्राम तारारोड़ा में ग्रामवासियों द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के द्वितीय दिवस व्यासपीठ से संबोधित करते हुए अंतराष्ट्रीय राम कथाकार साध्वी प्रज्ञा भारती कागशिला पीठाधीश्वर श्रीधाम वृंदावन के द्वारा प्रवचन देते हुए कहा गया कि अहंकार और मद व्यक्ति के विकास को रोकता है। यह बात अति होशियार होने के बावजूद भी देवऋषि नारद नहीं समझ पाए।
साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि नारद को एक बार इस बात का घमंड हो गया कि कामदेव भी उनको परास्त नहीं कर सका। उन्होंने यह बात भगवान शंकर को सुनाई तब भगवान शंकर ने नारद को भली भांति समझाया कि यह बात जो तुमने मुझे बताई है यह धोखे से भी भगवान हरि को मत बता देना।
प्रज्ञा जी ने कहा कि कलयुग में ही नहीं त्रेता और द्वापर में भी यही था, नारद को भगवान शंकर की बात पसंद नहीं आई और अवसर पाकर उन्होंने कामदेव को परास्त करने की बात और इंद्र द्वारा किए गए षड्यंत्र का पूरा बखान भगवान हरि के सामने कर दिया। साध्वी प्रज्ञा भारती ने ग्रामवासियों से कहा कि कथा कोई भी हो व्यासपीठ से यही शिक्षा दी जाती है कि अहंकार को पालना नहीं चाहिए। ज्यादा घमंड करने और किसी छोटी सी बात पर सफल हो जाने पर यह नहीं समझ लेना चाहिए कि अब हमने बड़ा दुनिया में कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस में नारद मोह प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास ने व्यक्ति को अंहकार से बचाने और स्वंय को भगवान से छोटा रखने के लिए ही रखा है। साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि नारद भगवान के इस रहस्य को समझ नहीं पाए। राजकुमारी के विवाह का आमंत्रण मिलने पर नारद वहां पहुंचे जो नगर भगवान ने काल्पनिक बनाया था। स्वंय भगवान हरि राजकुमार बनकर आए और राजा की राजकुमारी विश्वमोहिनी ने उनका वरण किया, किंतु नारद जिस रूप में आए थे उन्हें देखना भी पसंद नहीं किया।
कथा को विस्तार देते हुए साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि जिस परिवार में पिता का पुत्र पर, पति का पत्नि पर बड़े भाई का छोटे भाई पर, माता का पुत्री पर और सास का बहू पर तब तक परिवार में उसी भय के कारण समरसता बनी रहती है यदि परिवार मे सभी स्वतंत्र होगे तो वहां सुमती नहीं आएंगी और कुमती के कारण परिवार टूटेंगे। अंत में उन्होंने कहा कि भय का आशय किसी अन्य बात से नहीं है। खुले शब्दों मेे इसका अर्थ यहीं है कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को एक दूसरे का मान करना चाहिए। कथा प्रारंभ होने के पूर्व ग्रामवासियों ने साध्वी प्रज्ञा भारती का पुष्पहारों से स्वागत किया एवं रामचरितमानस का पूजन अर्चन किया।
गुरूवार की प्रात:काल श्रीपंचकुण्डीय शतचंडी महायज्ञ के यज्ञाचार्य पं. रामगोपाल त्रिपाठी एवं समस्त वैदिक ब्राम्हणों ने यज्ञ मंडप में प्रवेश किया एवं ग्राम के यजमानों से सपत्निक यज्ञ वेदिका पूजन अर्चन करवाया। शुक्रवार को यज्ञ शाला में अग्नि प्राकट्य किया जाएगा और इसके पश्चात आहुतियां प्रारंभ होगी।

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