- एक राष्ट्र, एक चुनाव होने से चुनाव खर्च कम होगा, एक सकारात्मक इलेक्शन रिफार्म है- पंकज चौरे
इटारसी। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति पीजी कॉलेज इटारसी में गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के समर्थन पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर पूर्व प्राचार्य व शिक्षाविद डॉ केएस उप्पल, नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे मौजूद थे। कॉलेज में मौजूद छात्र-छात्राओं को सेमिनार में वन नेशन, वन इलेक्शन के लाभ बताए गए। पूर्व प्राचार्य डॉ केएस उप्पल ने इस नीति के पक्ष में कहा कि इससे चुनाव खर्च में कमी आएगी। राजनीतिक स्थिरता स्थापित होगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी। डॉ उप्पल ने कहा कि 1952 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव हुए हैं। इसलिए यह नहीं कह सकते कि ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह एक तरह का इलेक्शन रिफार्म है और समय समय पर चुनाव प्रक्रिया में इस तरह के सकारात्मक रिफार्म होते रहे हैं।

नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका, बेल्जियम, जर्मनी, फिलीपींस और मुस्लिम देश इंडोनेशिया में भी साथ एक चुनाव हो रहे हैं। 1952 से लेकर 1967 तक देश में एक साथ चुनाव हुए हैं, तब संघीय ढांचे पर प्रहार नहीं हुआ, तो अब कैसे होगा? उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की कवायद 1983 से चल रही है। तब इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया की पहली रिपोर्ट आई थी, उसमें भी कहा गया था कि देश में एक साथ चुनाव होने चाहिए। नगर पालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने कहा कि कहा कि 1983 में तो हमारी सरकार नहीं थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद कई रिपोर्ट आई, उसमें भी कहा गया कि देश में चुनाव एक साथ ही होने चाहिए। यह एक इलेक्शन रिफॉर्म है, जिसे देश में लागू होना ही चाहिए।
नगरपालिका अध्यक्ष पंकज चौरे ने कहा कि अलग-अलग समय पर चुनाव होने के कारण देश में सालभर कहीं न कहीं आदर्श आचार संहिता लागू रहती है, जिससे विकास कार्यों पर प्रभाव पड़ता है, यदि पूरे देश में चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो इससे न केवल प्रशासनिक बोझ कम होगा, बल्कि विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी। उन्होंने कहा कि इससे चुनावी खर्च में कमी आएगी और प्रशासन पर पडऩे वाला अतिरिक्त दबाव भी कम होगा। कॉलेज जनभागीदारी समिति अध्यक्ष डॉ नीरज जैन ने कहा कि एक देश एक चुनाव होने से देश आर्थिक विकास की ओर तेजी से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अभी राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचा चुनाव में ही व्यस्त रहता है। जिससे विकास कार्यों में रुकावट आती है। सेमीनार में कॉलेज प्राचार्य डॉ राकेश मेहता भी मौजूद थीं।

समर्थन में प्रस्ताव भरवाए गए
सेमिनार में स्टूडेंटस से एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थन में प्रस्ताव भी भरवाए गए। यह प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजे जाएंगे। प्रस्ताव में प्रशासनिक और आर्थिक दक्षता, विकास कार्यों में निरंतरता, राजनीतिक स्थिरता, मतदाताओं की जागरुकता और भागीदारी, चुनावी खर्च में कटौती जैसी चीजों को लिखकर भेजा गया है।