इटारसी। विनम्र भक्ति ही जीवन में सद्बुद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है और सद्बुद्धि से ही मनुष्य सफलता की ओर अग्रसर होता है। उक्त ज्ञानपूर्ण विचार नर्मदांचल के कथा मर्मज्ञ पंडित जगदीश पांडेय ने धौंखेड़ा रोड पर प्रिंस मैरिज गार्डन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।
सामाजिक कार्यकर्ता अमृतलाल पटेल की स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह में श्री पांडेय ने भगवान के वामन अवतार की कथा का प्रसंग वर्णन करते हुए कहा कि राजा बलि बहुत बलवान, धनवान और दानवीर थे। इसका उन्हें बड़ा अहंकार भी था। इस कारण वह अपने दरबार में बटुक वामन का अवतार धारण करके आये परमात्मा श्री हरि को पहचान नहीं पाये और गुरु के समझाने के बावजूद वामन भगवान से कह दिया कि दान में जो मांगना हो मांग लो। प्रभु ने तीन पग जमीन दान में मांगी और कहा कि हम अपने पैर से नापकर ही जमीन लेंगे। राजा ने कहा कि ठीक है। यह सुनते ही भगवान वामन ने एक पांव में ही पूरी पृथ्वी नाप ली और दूसरे पांव से आसमान। फिर राजा से कहा कि बताओ तीसरा पांव कहां रखूं? यह देख राजा बलिक का अहंकार वहीं समाप्त हो गया और उसने विनम्रता के साथ नतमस्तक होते हुए कहा कि प्रभु तीसरा पैर मेरे सिर पर रखकर मेरे अहंकारी जीवन को समाप्त कीजिए। परमात्मा ने ऐसा ही किया और उसे सद्बुद्धि देकर पाताल लोक का राजपाठ प्रदान किया। श्री पांडेय ने कहा कि यह प्रसंग हमें संदेश देता है कि मानव स्वभाव में अहंकार नहीं विनम्रता होनी चाहिए तभी हम सफलता की ऊंचाईयों का छू सकते हैं। इसके साथ ही आचार्यश्री ने ने देवी धरा एवं राजा मोरध्वज के प्रसंग को मार्मिक रूप से प्रतिपादित करते हुए कहा कि कभी-कभी परमात्मा अपने भक्त की सच्ची भक्ति की परीक्षा भी लेते हैं जिसमें भक्त को अपना सर्वस्व त्याग करना पड़ता है। तीसरे दिन की कथा में सभी प्रसंग भावपूर्ण और मार्मिक थे जिन्हें श्रवण कर रहे श्रोता भी भाव विभोर हो गये। कथा के चौथे दिन बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
Click to rate this post!
[Total: 0 Average: 0]
विनम्र भक्ति से सद्बुद्धि का मार्ग प्रशस्त होता
For Feedback - info[@]narmadanchal.com