व्यापारियों का आरोप : दस्तावेज के नाम पर कर रहे हैं परेशान

इटारसी। प्रभारी सचिव के भरोसे चल रही मंडी की कार्यप्रणाली से यहां कार्यरत लायसेंसी व्यापारी खुश नहीं हैं। हालांकि उनको मंडी में ही काम करना है, इसलिए खुलकर विरोध करने कोई सामने नहीं आ रहा है। व्यापारियों का आरोप है कि दस्तावेजों के नाम पर उनको अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है। हालांकि मंडी प्रबंधन ने इससे इनकार करते हुए कहा है कि जो पाक्षिक रिपोर्ट मांगी जाती है, वही मांगी जा रही है, इससे इतर कुछ भी नहीं है। व्यापारियों को परेशान करने जैसी कोई भी बात नहीं हो रही है।
कृषि उपज मंडी में अनाज खरीदी करने वाले व्यापारी दस्तावेज संंबंधी प्रक्रिया पूर्ण करने को लेकर परेशान हैं। व्यापारियों ने बताया कि मंडी में प्रभारी सचिव के आदेश से यहां कार्यरत मंडी निरीक्षक अनावश्यक दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं और नहीं होने पर धमकी दी जा रही है। सूत्र बताते हैं कि कुछ दिन पूर्व प्रभारी मंडी सचिव ने कतिपय व्यापारियों को दफ्तर में बुलाकर कुछ मंत्रणा की थी। हालांकि इस बैठक में क्या बात हुई, यह तो पता नहीं चल सका है। लेकिन कुछ व्यापारी कह रहे हैं कि मंडी प्रबंधन की नीतियों के कारण इस ए गे्रड की मंडी में अब अनाज अन्य मंडियों की अपेक्षा कम मात्रा में ही आ रहा है। व्यापारियों का कहना है कि यहां इस तरह के आदेश होते हैं जिससे व्यापारी परेशान हो जाता है।
पाक्षिक दस्तावेज देने होते हैं
कृषि उपज मंडी में कार्यरत लायसेंसी व्यापारियों की संख्या 186 है। इनमें से साठ-सत्तर ही यहां खरीदी करते हैं। शेष केवल टैक्स पेड करते हैं। लायसेंसी व्यापारियों को यहां खरीदी के बाद हर पंद्रह दिन में रिपोर्ट पेश करनी होती है। इसमें उनके द्वारा खरीदी गया अनाज, स्टॉक, मंडी शुल्क आदि की जानकारी होती है। मंडी प्रबंधन हर पंद्रह दिन में एक पाक्षिक रिपोर्ट मांगता है। इसकी बाकायदा पोर्टल पर एंट्री होती है। बताते हैं कि व्यापारियों की तरफ से हमेशा इन दस्तावेज और रिपोर्ट पेश करने में देरी होती है। प्रबंधन पंद्रह दिन के अलावा पांच दिन की राहत भी दे देता है। बावजूद इसके दस्तावेज जमा नहीं होते हैं। ऐसे में लायसेंसी व्यापारियों को दस्तावेज जमा करने के लिए ही कहा जाता है।
सचिव के निर्देश पर मांग रहे
कृषि उपज मंडी में कार्यरत मंडी निरीक्षक महेश व्यास का कहना है कि मंडी के प्रभारी सचिव नरेश परमार के निर्देश पर ही दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। व्यापारियों को पाक्षिक रिपोर्ट देनी होती है। व्यापारियों को स्टॉक बताना अनिवार्य है। उनको यह भी बताना होगा कि उन्होंने जो अनाज खरीदा है तो उसका भंडारण कहां किया है। ऐसे ही अन्य दस्तावेजों की जानकारी मंडी प्रबंधन को देना होता है। जहां तक परेशान करने जैसी शिकायत है तो यह गलत है। जो नियमानुसार दस्तावेज मांगे जाते हैं, वहीं मांगे जा रहे हैं। व्यापारियों को यह निर्देश दिये हैं कि किसान समृद्धि योजना के तहत तत्काल किसानों से खरीदे अनाज का भुगतान करें और इसकी जानकारी मंडी प्रबंधन को उपलब्ध कराएं। 50 हजार तक नगद भुगतान करना होगा।
इनका कहना है…!
आज मंडी परिसर में ऐसा अनाउंस करने की खबर है कि दो तीन व्यापारियों ने अपने दस्तावेज जमा नहीं किये हैं, वे दस्तावेज पूर्ण करें। इस तरह का अनाउंस नहीं करना चाहिए। यदि कहीं गड़बड़ी है तो संबंधित को नोटिस दें और कार्रवाई करें। इस संबंध में हम मंडी सचिव से बात करने जाने वाले हैं।
राजेन्द्र अग्रवाल, अध्यक्ष ग्रेन मर्चेन्ट एसोसिएशन

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