शहर और गांवों में मना विश्व आदिवासी दिवस (Tribal day)

इटारसी। शहर और आसपास के ग्रामीण अंचलों में विश्व आदिवासी दिवस (Tribal day) पर अनेक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किये। आदिवासी समाज के लोगों ने कोरोना से बचाव के लिए मास्क तो लगाए थे और कोई जुलूस भी नहीं निकाला। लेकिन, ज्यादातर जगह फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा गया था। बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग एकत्र हुए थे।
आदिवासी सेवा समिति तिलक सिंदूर (Aadivasi seva samiti Tilak Sindoor) के तत्वावधान में विश्व आदिवासी दिवस पर ग्राम टांगना में छोटा सा कार्यक्रम करके परंपरा निभायी है। इस दौरान आदिवासी गोंडी नृत्य, भाषा, सांस्कृतिक कार्यक्रम किये। आदिवासियों ने प्रकृति की रक्षा के साथ अपना स्वर्णिम इतिहास भी याद किया जैसे बिरसा मुंडा, महावीर एवं रानी दुर्गावती क्रांतिकारी ने आदिवासियों के लिए लड़ाई लड़ी। आज भी आदिवासी कुल्हाड़ी, जंगल, जमीन, तीर-कमान जैसी परंपरा निभा रहे हैं। खेत की जुताई करने हल बक्खर का प्रयोग किया जाता है, बिना खाद के किसानी होती थी। लेकिन अब यूरिया और डीएपी नहीं होगी तो किसानी नहीं हो पाएगी। जिससे जमीन की मिट्टी बहुत कड़क होते जा रही है। गांव के लोगों ने छोटे-छोटे खेत पर स्वयं के उपयोग के लिए गोबर की खाद उपयोग करके मक्का लगाया है जिसका स्वाद बहुत ही पौष्टिक होता है। समिति संरक्षक सुरेंद्र कुमार धुर्वे, अध्यक्ष बलदेव तेकाम, सचिव जीतेंद्र इवने, उपाध्यक्ष मन्नालाल एवं गजराज सरेआम, जगदीश काकोडिय़ा, अवध राम कुमरे, शरद कुमार चीचाम, राजकुमार, पवन मर्सकोले, हरभजन, मनोहर धुर्वे एवं महिलाओं ने भी हिस्सा लिया।
इटारसी में भी मना आदिवासी दिवस (Tribal day)
इटारसी शहर में भी यह उत्सव उत्साह से से मनाया। कार्यक्रम में छात्र संगठन के प्रदेश सचिव आकाश कुशराम, पुरुषोत्तम धुर्वे, पवन मर्सकोले, संजय युवने, समाज सेवक सचिन मेहरा, अजय सरेयाम, मनोहर परते, राहुल प्रधान, नीलेश सिरसाम, अंकित सोयाम, बंटी धुर्वे, सौरव धुर्वे, रोशन सिंह परते, कोदूलाल सरियाम, जीवन लाल युवने, गोपाल तुमराम, जीवन लाल उइके, नरेंद्र कुशराम, कृपाराम तुमराम, रामगोपाल परते, सुनील गज्जाम, रमेश धुर्वे, रामकृष्ण इवने, मनीषा धुर्वे, गीता बाई कुशराम उपस्थित रहे।