शासन और आदिवासियों से धोखाधड़ी, करोड़ों का लगाया चूना

शासन और आदिवासियों से धोखाधड़ी, करोड़ों का लगाया चूना

इटारसी। आरटीआई एक्टिीविस्ट प्रमोद पगारे की शिकायत पर शहर के सराफा बाजार निवासी रसाल परिवार पर बैतूल जिले में आदिवासी बनकर कृषि भूमि क्रय करने का मामला एसडीओ राजस्व शाहपुर के यहां दर्ज किया गया है। मामले में 3 मार्च को पेशी है, जिसमें रसाल परिवार को अपना पक्ष रखना है। पगारे ने कहा है कि रसाल परिवार स्वयं को आदिवासी साबित करने 3 मार्च को तहसीलदार न्यायालय की पेशी पर पहुंचकर अपना पक्ष रखे। वह स्वयं को आदिवासी सिद्ध कर पाए तो मैं सामाजिक जीवन का त्याग कर दूंगा।
रविवार को श्री प्रेमशंकर दुबे स्मृति पत्रकार भवन में एक पत्रकार वार्ता में श्री पगारे ने कहा कि स्व. उद्धव रसाल एवं उनके पुत्रों ने बैतूल जिले की शाहपुर तहसील अंतर्गत ग्राम डोडरा मोहर के आसपास लगभग 22.232 एकड़ जमीन वर्ष 2000 के लगभग क्रय की थी। आदिवासी जमीनों को खरीदने उन्होंने स्वयं को हलवा जाति का आदिवासी बताया और तत्कालीन अधिकारियों से मिलीभगत करके लाखों रुपए एकड़ की जमीन 15 से 40 हजार रुपए देकर अपने नाम करा ली। मामले का खुलासा तब हुआ जब इसी परिवार ने इटारसी तहसील के अंतर्गत ग्राम पीपलढाना, मेहरागांव एवं इटारसी में कृषि भूमि सहित कई भूखंड स्वयं को मराठा जाति का गैर आदिवासी बताकर क्रय की।
पगारे ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत उन्होंने संबंधित कार्यालयों से भूमि क्रय विक्रय के दस्तावेज प्राप्त करके अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय शाहपुर में शिकायत की थी जिसमें जांच के बाद एसडीएम न्यायालय शाहपुर में क्रेता रसाल परिवार के खिलाफ भू राजस्व संहिता की धारा 170 ख के तहत 10 फरवरी 2020 को 23अ1 का प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया है।

आदिवासी बनकर खरीदी है यह जमीनें
– शाहपुर तहसील अंतर्गत डोडरा मोहर निवासी मुंशीलाल पिता शेरसिंह जाति गोंड की खसरा नं. 232/2 रकबा 2.287 हेक्टेयर लगभग 5.65 एकड़ भूमि, मौजा रायपुर निवासी सकियाबाई पति बारातीलाल जाति गोंड की खसरा नं. 57 रकबा 3.440 हेक्टेयर लगभग 8.50 एकड़ भूमि 07/06/2000 को उद्धव पिता शिवराम रसाल ने क्रय की। जिसकी रजिस्ट्री में उद्धव रसाल ने अपनी जाति हलवा आदिवासी बताई एवं निवासी इटारसी बताया। जबकि नामांतरण दस्तावेजों में उद्धव रसाल को और उनकी मृत्यु के बाद भी परिवारजनों को बैतूल मप्र का निवासी बताया। खसरा नं. 57 में आदिवासी की हलवा जाति बदलकर सोहन रसाल एवं परिवार ने स्वयं को गोंड जाति का बताया और निवासी बैतूल का बताया।
– मुंशीलाल पिता शेरसिंह की खसरा नं. 122/25 रकबा 0.090 हेक्टेयर भूमि भी उद्धव पिता शिवराम रसाल ने हलवा जाति का आदिवासी बनकर क्रय की।
– मुंशीलाल गोंड के परिवार की ही शाहपुर तहसील की खसरा नं. 226/2 रकवा 0.202 हेक्टेयर, खसरा नं. 226/4 रकवा 1.417 हेक्टेयर, खसरा नं. 283 रकवा 1.246 हेक्टेयर एवं खसरा नं. 527/1 रकवा 0.315 की आदिवासी भूमि रसाल परिवार द्वारा हलवा आदिवासी बनकर क्रय की है। वर्ष 2010-11 में भूमि का कुछ हिस्सा नेशनल हाईवे अधिग्रहण होने का मुआवजा भी स्व. सुभाष रसाल ने प्राप्त किया है।
गैर आदिवासी बनकर खरीदी यह जमीनें
– इसी परिवार द्वारा तहसील इटारसी के ग्राम पीपलढाना निवासी सुरेश कुमार पिता प्रेमनारायण दुबे के खसरा नं. 189 एवं 190 रकवा 0.526 हेक्टेयर लगभग 1.30 एकड़ भूमि कालिंदी पति अशोक रसाल ने क्रय की जिसके विक्रय पत्र में क्रेता एवं विक्रेता दोनों ही गैर आदिवासी बताये गये हैं।
– अशोक के पुत्र शंकर रसाल ने इटारसी के वार्ड 17 आसफाबाद के परिवर्तित हलका क्रमांक 13 परिवर्तित खसरा क्रमांक 71 शीट नं. 25 प्लाट नं. 50/2डी क्षेत्रफल 770 वर्गफुट भूखंड क्रय किया है जिसमें स्वयं को गैर आदिवासी मराठा जाति का दर्शाया है।
– इनके परिवार द्वारा इसी प्रकार शहर इटारसी सहित मेहरागांव एवं सनखेड़ा के आसपास कई भूखंड एवं कृषि भूमि क्रय की गई है जिनमें इन्होंने स्वंय को गैर आदिवासी दर्शाया है।
– इसी परिवार के शंकर रसाल ने कुछ माह पूर्व नगरपालिका के एआरआई संजीव श्रीवास्तव के साथ मिलकर अपनी पत्नी के नाम एक फर्जी प्लाट खरीदा था लेकिन मामला उजागर होने पर उसने फरियादी बनकर रिपोर्ट की और एआरआई को जेल जाना पड़ा।
– स्व. उद्धव रसाल का पुत्र, अशोक का भाई और शंकर का चाचा सोहन रसाल कुछ वर्षों पूर्व वार्ड की ओबीसी सीट से पार्षद के चुनाव में खड़ा हुआ था। तब उसने निर्वाचन आयोग को ओबीसी जाति का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था।

विक्रेता बोले हमसे हुई है धोखाधड़ी
पत्रकारवार्ता में ढोढरा मोहर के विक्रेता मुंशीलाल के छोटे भाई गजराज ने बताया कि उनका परिवार पढ़ा लिखा नहीं होने से ज्यादा समझदारी नहीं रखता था, जिसका फायदा उठाया। अब वे पीछे नहीं हटेंगे। न्यायालय प्रक्रिया करके वे अपने हक की जमीनें वापस लेंगे और धोखाधड़ी जालसाजी फर्जीवाड़ा करने वाले दोषियों के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी करेंगे। शाहपुर से समाजसेवी राजा धुर्वे सहित आदिवासी युवा संगठन के सचिन और राहुल मौजूद रहे।

ये कहा शंकर रसाल ने
जब इन आरोपों पर शंकर रसाल को उनका पक्ष जानने फोन किया तो उनका कहना था कि उनकी बड़ी मम्मी शांत हो गयी, वे नागपुर में हैं। जहां तक इस मामले में पक्ष की बात है तो जमीनें हमारे दादाजी उद्धव रसाल ने खरीदी थी, उन्होंने कैसे सौदे किये थे, हमें इसकी कोई जानकारी नहीं है।

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