इटारसी। जीवन में मित्रता का संबंध सगे-संबंधों से भी बढ़कर होता है। इसमें छल-कपट करना ईश्वर से छल-कपट करने के समान होता है। यह बात नर्मदांचल के लोकप्रिय भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित जगदीश प्रसाद पांडेय ने श्रीमद् भागवत कथा के समापन दिवस पर व्यक्त किये।
सामाजिक कार्यकर्ता अमृतलाल पटेल की पावन स्मृति में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा समारोह के समापन अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री पांडेय ने सुदामा चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण की अनेक लीलाओं में से एक है मित्र लीला जो अपने गुरुभाई सुदामा जी के साथ की थी। इसमें उनके मित्र सुदामा मु_ीभर चने के लिए उनसे झूठ बोलते हैं और चने अकेले ही खा जाते हैं। इसके कारण उन्हें अपना पूरा जीवन गरीबी ओर दरिद्रता के बीच व्यतीत करना पड़ता है। अत: इस लीला से कर्मयोगी श्रीकृष्ण ने समस्त जनमानस को यह संदेश दिया है कि मित्रता में कपटता कभी नहीं करना चाहिए।
सातवे दिन की समापन कथा में प्रवचनकर्ता श्री पांडेय ने कर्मयोगी श्रीकृष्ण के 16 हजार 108 विवाहों के प्रसंग का भी व्यवहारपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि परमात्मा भक्त को उसकी इच्छानुसार वर देते हैं। इसके अलावा अन्य ज्ञानपूर्ण प्रसंगों का वर्णन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के सबसे पहले मानव श्रोता राजा परीक्षित थे जिन्होंने पूर्ण आत्मीयता से इस कथा को श्रवण कर मोक्ष प्राप्त किया था। श्रीमद् भागवत कथा समापन अवसर पर महाआरती हुई। इसके उपरांत मुख्य यजमान विनोद मिश्रीलाल पटैल, कार्यक्रम संयोजक प्रिंस पटेल आदि ने प्रवचनकर्ता श्री पांडेय एवं संगीतकारों का सम्मान किया। चोरिया कुर्मी समाज युवा संगठन की ओर से भी कथा मर्मज्ञ जगदीश पांडेय का नागरिक अभिनंदन किया गया। समापन कार्यक्रम का संचालन कवि बृजकिशोर पटेल ने किया एवं आभार प्रदर्शन अधिवक्ता अनिरुद्ध पटेल ने किया। कथा समापन पर भंडारा भी हुआ जिसमें सैंकड़ों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया।
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श्रीमद् भागवत कथा का समापन, भंडारे में सैंकड़ों ने लिया प्रसाद
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