संग्रहालय इतिहास के जीवन्त स्रोत है
होशंगाबाद। विश्व संग्रहालय दिवस पर संग्रहालय का महत्व बताते हुये डा. हंसा व्यास ने कहा महत्वपूर्ण सामग्री के संकलन का वृहद रूप संग्रहालय है। संग्रहालय की खामोष वस्तुयें इतिहास के अनेक रूपों की जीवन्त अभिव्यक्ति है। मूर्तिकला का संग्रह षिल्प कला के तकनीकी विकास को और तत्कालीन समय के अनेक उद्योग धन्धों का इतिहास बताता है। इस अवसर पर इतिहास के विद्यार्थियों ने शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास विभाग में सांस्कृतिक संग्रहालय की शुरूआत की। सांस्कृतिक संग्रहालय की अवधारणा माधवी राजपूत, वैभव पालीवाल, कान्हा पाठक, हर्षा परते, राघवेन्द्र कदम की है। हर्षा परते ने बताया कि सभ्यता और संस्कृति के विकास को संग्रहालय से समझा जा सकता है। माधवी राजपूत का कहना है कि इस संग्रहालय में हम स्थानीय इतिहास के विकास क्रम को प्रागैतिहासिक काल से आधुनिक काल तक दिखायेंगे। प्रवीण सेन ने इस अवसर पर सिक्कों की विकास यात्रा की प्रदर्शनी लगाई। सांस्कृतिक संग्रहालय में विभिन्न काल खण्ड के वस्त्र, आभूषण के साथ-साथ मिट्टी कला के भी प्रतिनिधि उदाहरण होंगे। विद्यार्थियों ने पोस्टर के द्वारा सांस्कृतिक संग्रहालय की अवधारणा को प्रस्तुत किया।
डा. कल्पना विश्वास ने कहा संग्रहालय इतिहास की विकास की यात्रा को प्रस्तुत करता जो अनकही अनसुनी परतों को खोलता है तथा बताया कि संग्रहालय केवल इतिहास के नहीं होते वरन् सभी विषयों के होते है। डा. बी.सी.जोशी ने संग्रहालय के महत्व को बताया। रूचि दुबे ने बताया कि संग्रहालय इतिहास को करीब से देखने समझने का एक सषक्त माध्यम है। वैभव पालीवाल ने बताया कि छोटी-छोटी वस्तुओं के संग्रह से इतिहास बनता है। भारती चौहान ने बताया कि संस्कृति के अनेक रूप संग्रहालय के माध्यम से समझ सकते है। संजय चौधरी, प्रदीप अहिरवार, रूचि दुबे ने सांची संग्रहालय, आषापुरी संग्रहालय में संग्रहित षिल्पकला के सन्दर्भ में इतिहास की व्याख्या की। अजय बावरिया, राजेश वर्मा, आशीष नागर ने परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों के संग्रह की अवधारणा पर प्रकाश डाला। रिंकी अहिरवार ने भूगोल और इतिहास के सम्बन्ध की व्याख्या करते हुये संग्रहालय का महत्व बताया। प्राचार्य डा. ओ.एन.चौबे ने इतिहास के विद्यार्थियों को उनके रचनात्मक कार्य के लिये बधाई दी। कार्यक्रम में वन्दना सराठे, शिवानी झरानिया, अमर विश्वकर्मा आदि विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की। संचालन वैभव पालीवाल ने किया, आभार भारती चौहान ने किया।