सोयाबीन तेल मिलेगा 91 रुपए प्रति लीटर

सोयाबीन तेल मिलेगा 91 रुपए प्रति लीटर

आपदा में अतिक्रमण अभियान पर सवाल
इटारसी। लॉक डाउन के कारण बाजार सुबह केवल तीन घंटे खुल रहे हैं और ऐसे में लोग जरूरी सामग्री की खरीद कर रहे हैं। कतिपय व्यापारियों के द्वारा प्रिंट रेट से अधिक पर सोयाबीन तेल बेचने की शिकायत के कारण बुधवार को खाद्य एवं औषधि विभाग ने यहां रेस्ट हाउस में खाद्य तेल निर्माता, रीपैकर एवं किराना व्यापारी महासंघ के एक बैठक लेकर कुछ निर्णय लिये।
इस अवसर पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी शिवराज पावक, लीना नायक, किराना व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोविन्द बांगड़, निर्माता इटारसी ऑयल एवं फ्लोर मिल से ओपी गांधी, नटराज प्रोटींस से कैलाश शर्मा, संदेश अग्रवाल, फर्म चंद्रभान सदनमल, जय इंटरप्राईजेस, दादा जी गोल्ड इंटरप्राईजेस, तिरुपति इंटरप्राईजेस का प्रतिनिधित्व रहा।

दाम और आपूर्ति पर चर्चा
बैठक में तेल के बढ़ते दाम और आपूर्ति के संबंध में चर्चा की गई। इस अवसर पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि काम्बो पैक होम डिलेवरी के दौरान एक लीटर सोयाबीन तेल 91 रुपए में दिया जाएगा। इसका एक हजार और दस हजार लीटर तक की आवश्यकता रहेगी तो खाद्य तेल निर्माता एवं रीपैकर उसे इस राष्ट्रीय आपदा के दौरान 91 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से उपलब्ध करायेंगे साथ ही खाद्य तेल के पैकेट पर 91 रुपए रेट भी प्रिंट रहेगा, जो होम डिलेवरी के दौरान काम्बो पैक के साथ रहेगा। व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष गोविन्द बांगड़ ने कहा कि इन पैकेट्स की होम डिलेवरी कराने की जिम्मेदारी उनकी रहेगी। यह भी तय किया गया कि रेट कम होने पर भाव भी कम कर दिया जाएगा। लेकिन, रेट बढऩे पर भाव नहीं बढ़ाया जाएगा।

आपदा में अतिक्रमण अभियान पर सवाल
पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से नगर पालिका ने शहर में कोई अतिक्रमण अभियान नहीं चलाया। लेकिन, आपदा के वक्त अतिक्रमण के नाम पर कुछ व्यापारियों का सामान यह कहकर उठाया गया कि वह निर्धारित सीमा से अधिक बाहर तक रखा था। आपदा की इस स्थिति में व्यापारियों में से लेकर रोष तो है, लेकिन वे फिलहाल कुछ करने के मूड में नहीं हैं। कुछ व्यापारियों ने बताया कि आज सुबह करीब पौने 9 बजे नारियल बाजार क्षेत्र में दो से तीन दुकानों से नपा के कतिपय कर्मचारियों ने हद से बाहर सामान रखा होने के नाम पर काफी सामान उठा लिया है। उनका कहना है कि यह ज्यादा बाहर रखा है। व्यापारियों का कहना है कि ऐसे में कौन दुकानें खोलेगा। सुबह केवल तीन घंटे में सुबह 8 से 11 बजे के बीच व्यापारी जल्दी-जल्दी सामान बाहर करता है और उसी तीन घंटे में उसे बिक्री भी करना है और 10:45 बजे से दुकान का सामान भीतर करके बंद भी करना होता है। ऐसे में उसे सामान जमाने का वक्त कहां है? यदि इसी तरह से नगर पालिका के कर्मचारी करेंगे तो तीन घंटे भी सेवा देना मुश्किल हो जाएगा। सवाल यह उठता है कि सालभर से अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया नहीं और आपदाकाल में इन कर्मचारियों को अतिक्रमण हटाने की सुध आ रही है।

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