अगले वर्ष जल्दी आने का वादा लेकर गणपति की विदाई

इटारसी। गणेश उत्सव के दस दिन पूरे हो गये हैं और पिछले दस दिन से घरों और सार्वजनिक स्थानों पर विराजे गणपति को लोग ढोल-ढमाकों और जयकारों के साथ नाचते-गाते विदा कर रहे हैं। गणेश भक्त अपने भगवान से अगले वर्ष आने की मनुहार भी लगा रहे हैं। भक्त हर्ष और उल्लास से बप्पा को विदाई दे रहे हैं। मेहरागांव नदी में रेलवे पुल के नीचे पहाड़ी नदी के तेज बहाव में बप्पा की मूर्तियों का विसर्जन हो रहा है तो नगर पालिका ने भी डोलरिया रोड पर स्थित पुल किनारे कृत्रिम जलकुंड बनाया है। वहां भी छोटी मूर्तियां विसर्जित की जा रही हैं।
शहर के गली-मोहल्लों, चौक-चौराहों पर गणेश उत्सव की धूम रही और समापन दिवस अनंत चतुर्दशी पर बड़ी संख्या में गणेश भक्तों ने जुलूस के साथ भगवान गणेश की मूर्ति लेकर रंग-गुलाल उड़ाते हुए मेहरागांव नदी पर ले जाकर विदाई दी। दस दिवसीय महोत्सव पूर्ण होने पर बप्पा को अपने धाम वापस भेजने के लिए अनंत चतुर्दशी पर मेहरागांव नदी पर नगर पालिका ने भी व्यवस्था की थी। हालांकि नगर पालिका के कृत्रिम पंडाल की अपेक्षा ज्यादातर लोगों ने नदी के तेज बहाव में ही विसर्जन करना उचित समझा और वहीं सबसे अधिक विसर्जन हुए। घरों में विराजे गणेश और चौक-चौराहों पर विराजे गणेश भी इसी नदी पर विसर्जित किये गये।

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दोपहर तक नहीं थी व्यवस्था
मेहरागांव नदी पर विसर्जन के वक्त सुरक्षा के जो इंतजाम प्रशासन को करना था, उसमें प्रशासन दोपहर तक बेफिक्र रहा। जब एक युवा के डूबने और दूसरे युवाओं द्वारा बचाने की खबर सोशल मीडिया पर आयी तो तत्काल थाने से दो अधिकारी पहुंचे और मोर्चा संभाला। शाम को राहत एवं बचाव दल के सदस्य भी मौके पर पहुंचे थे। गणेश विसर्जन के लिए प्रशासन को जितना गंभीर होना था, उतनी गंभीरता नहीं दिखी। दोपहर 3 बजे तक यहां एक ही सिपाही की ड्यूटी थी जो सड़क किनारे खड़ा था और आधा दर्जन से अधिक युवा पानी के तेज बहाव में कूद-कूदकर करतब दिखाते रहे। जरा सी लालच में ये विसर्जन करने आने वालों से मूर्तियां लेकर तेज बहाव में जा रहे थे। इनको रोकने-टोकने वाला कोई नहीं था।
इसी दौरान एक बड़ी मूर्ति लेकर समिति के कुछ युवा नदी के तेज बहाव में उतरे और वे विसर्जन कर रहे थे। युवाओं का प्रयास था कि गणेश जी की मूर्ति विसर्जित हो जाए और लकड़ी का बना उनका आसन वापस मिल जाए। करीब दस मिनट तक युवा उस आसन के लिए पानी में मशक्कत करते रहे। लेकिन, तेज बहाव में वे सफल नहीं हो सके। वे मूर्ति के साथ ही बहते रहे और आखिरकार रेलवे पुल के नीचे पहुंचकर उनको मूर्ति छोडऩा पड़ी। दोपहर में एसडीएम हरेन्द्र नारायण ने अपने राजस्व अमले के साथ विसर्जन स्थल का निरीक्षण किया और आवश्यक निर्देश देकर चले गये। दोपहर में युवाओं द्वारा विसर्जन के दौरान बहने की जानकारी जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई पुलिस थाने से तत्काल दो अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्होंने मोर्चा संभाला। इसके बाद मौके पर राहत एवं बचाव दल भी पूरी किट पर पहुंचा था। विसर्जन का सिलसिला बुधवार से प्रारंभ हुआ था जो गुरुवार को भी चलता रहा। शाम से प्रशासन ने मोर्चा संभाला जबकि सुबह से दोपहर तक प्रशासन को यहां भीड़ और अव्यवस्था फैलने का अंदाजा ही नहीं था। देर से ही सही आखिरकार प्रशासन को सुध आयी और व्यवस्था संभाली गयी।

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