अध्यापन की प्रभाविता को बढ़ा देते हैं प्रयोग : दुबे

इटारसी। अगर कक्षा अध्यापन प्रयोग के साथ किया जाये तो प्रभाविता कई गुना बढ़ जाती है तथा सिखाई बातें हमेशा याद रहती हैं। अगर महंगे उपकरण उपलब्ध नहीं भी हैं तो आसपास उपलब्ध सामग्री से प्रभावी प्रयोग किये जा सकते हैं। यह बात नर्मदापुरम संभाग की शिक्षा उपसंचालक श्रीमती भावना दुबे ने एनसीएसटीसी द्वारा आयोजित शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन अवसर पर कही। कार्यक्रम के आयोजक राजेश पाराशर ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद प्रतिभागी शिक्षकों का समूह बनाकर जिले में निरंतर नवाचार के लिये प्रयास किये जायेंगे।
इसके पूर्व स्त्रोत वैज्ञानिक डॉ एमएस मारवाह ने कार्यशाला के प्रथम चरण में मनुष्य को सुनने की क्षमता में दो कानों एवं दिखाई देने में दो आंखों के महत्व को बताने के लिये प्रयोग किये। प्रतिभागी एक आंख या एक कान से न तो वस्तु कितनी गहराई पर है देख पाते हैं न ये बता पाते हैं कि आवाज किस तरफ से आई है। साबुन के गुब्बारों को कार्बन डाईआक्साइड की परत के ऊपर तैरा कर बताया कि कार्बन डाईआक्साईड हवा से भारी है। कार्बन डाईआक्साइड गैस को एक बर्तन से दूसरे में उड़ेलकर दिखाया जैसे पानी से भरा गिलास खाली करते हैं। जलती मोमबत्ती को कार्बन डाईआक्साइड से बुझाकर उसकी उपस्थिति का परीक्षण किया। गेंद के झूले को चलाकर वृत्तीय गति का सिद्धांत समझाया। कार्यशाला के अंत में प्रतिभागियों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार के प्रमाणपत्र दिये गये।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!