अब जंगल में प्यासे नहीं रहेंगे वन्य प्राणी

चार स्थानों पर 11 बोरी बंधान बनाकर पानी रोका

चार स्थानों पर 11 बोरी बंधान बनाकर पानी रोका
इटारसी। अब वन्य प्राणियों को भीषण गर्मी में पानी की तलाश में आबादी वाले इलाकों का रुख नहीं करना पड़ेगा। वन विभाग ने पहली बार मार्च माह में ही तपते सूर्य को देखते हुए जंगल में ही जंगली जानवरों के पानी का इंतजाम कर दिया है। वन विभाग ने इटारसी परिक्षेत्र में ऐसे 11 स्थानों पर यह व्यवस्था की है। इटारसी वन परिक्षेत्र करीब 19 हजार हेक्टेयर में फैला है और इसमें बारहसिंघा को छोड़कर हर प्रकार के जानवर हैं। इसमें तेंदुआ, शेर, भालू, काला हिरण, सांभर, मोर, चीतल आदि बहुतायत में हैं। सतपुड़ा टायगर से भी यहां जानवर विचरण करते चले आते हैं।
पिछले पंद्रह दिन से वन विभाग के इटारसी रेंज का अमला जंगलों में प्राकृति जल स्रोतों की तलाश में लगा था तथा जहां भी पानी के स्रोत थे, उनका गहरीकरण किया और बोरी बंधान करके पानी इक_ा करना शुरु किया तो बड़ी मात्रा में पानी एकत्र हो गया है।
जानवर और मनुष्य दोनों को खतरा
मार्च माह में ही मई सा माहौल होने से इटारसी वन परिक्षेत्र के अधिकारियों की चिंता बढऩे लगी थी। पानी नहीं मिलने पर प्यास से व्याकुल जानवर की जान पर खतरा बन जाता है। कई बार पानी की तलाश में वन्य प्राणी आबादी की तरफ रुख करते हैं। गांवों की तरफ आने से मानव जाति को भी खतरा बढ़ जाता है। पिछले कई वर्षों में ऐसे दर्जनों मामले सामने आए हैं जब गर्मियों में पानी की तलाश में वन्य प्राणी जंगल से बाहर गांवों में आए और यहां पालतू मवेशी और मनुष्य की जान को खतरा बने हैं। इसके साथ ही खुद वन्य प्राणियों के शिकार होने की संभावना भी बढ़ जाती है। प्यास से व्याकुल होकर वन्य प्राणी निढाल हो जाता है और खुद को शिकार होने से बचा नहीं पाता है। शिकारी ऐसे मौकों का भी फायदा उठाते हैं। अब वन्य प्राणियों को जंगल में ही पानी मिल जाएगा और उनके बाहर आने की संभावना खत्म होगी।
हमारी खुशी दोगुनी हो गई
जंगलों में पानी का स्रोत भर जाने से वन अधिकारियों की खुशी का ठिकाना न रहा। पंद्रह दिन से लगातार जंगल में की जा रही मेहनत सफल हो गयी। वन अमला करीब एक दर्जन स्थान पर वन्य प्राणियों के लिए पानी का इंतजाम कर रहा था। हालांकि जिस तरह का परिणाम प्राप्त हुआ है, उसकी उम्मीद कतई नहीं थी। जहां भी जल स्रोतों को गहरा और साफ किया है, वहां लबालब पानी निकला और इतना पानी एकत्र हो गया कि अब वन्य प्राणियों के प्यासे रहने की संभावना बहुत कम रह गई है। रेंजर एलएल यादव बताते हैं कि जलस्रोतों में भरा पानी देखकर हमारी खुशी दोगुनी हो गई है। इस वर्ष अभी से गर्मी की स्थिति देखने से हमारी चिंता बढ़ गई थी। जंगली जानवर और जंगलों में बसे गांवों के मनुष्य की सुरक्षा भी हमारी जिम्मेदारी है, अत: हमने गंभीरता से प्रयास किया है और हमें इसमें सफलता मिल गई है।
यहां बने, इतने जल स्रोत
बागदेव – 4
रानीपुर – 3
रांझी – 2
मातापुरा -2
इनका कहना है…!
इस वर्ष गर्मी के हालात देखकर हमें यह कदम उठाना पड़ा है। जंगल में पानी मिलेगा तो जानवर गांवों की तरफ नहीं आएगा। पंद्रह दिन की मेहनत से हमें 11 जलस्रोतों में पर्याप्त मात्रा में पानी मिल गया है। बोरी बंधान बनाकर पानी रोका है।
लखनलाल यादव, रेंजर

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