आदिवासियों द्वारा साहूकारों से लिए सभी कर्ज माफ होंगे : मुख्यमंत्री

Post by: Manju Thakur

भोपाल। प्रदेश के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों द्वारा साहूकारों से लिए गए सभी कर्ज माफ होंगे। इससे प्रदेश के डेढ़ करोड़ आदिवासी साहूकारों के कर्ज से मुक्त होंगे।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने आज छिंदवाड़ा में अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बताया कि सरकार ने इसके लिए सभी औपचारिक व्यवस्थाएँ कर ली हैं। सभी 89 अनुसूचित क्षेत्रों में यह कर्ज 15 अगस्त तक माफ होना शुरू हो जाएंगे। श्री कमल नाथ ने वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाये जाने की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आदिवासी वर्ग की मांग पर अनुसूचित जनजाति विभाग का नाम बदलकर आदिवासी विकास विभाग किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए कई ऐतिहासिक कामों का खुलासा किया। उन्होंने साहूकारों से लिए कर्ज माफ करने के संबंध में कहा कि किसी आदिवासी ने कर्ज लेने के लिए अपनी जेवर, जमीन गिरवी रखी है तो वह भी उन्हें वापिस होंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भविष्य में कोई साहूकार अनुसूचित क्षेत्र में साहूकारी करेगा तो उसे लायसेंस लेकर नियमानुसार धंधा करना होगा। मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि अगर बगैर लायसेंस के किसी ने अनुसूचित क्षेत्रों में साहूकारी का धंधा किया तो यह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और इसे गैरकानूनी माना जायेगा। यह कर्ज आदिवासी नहीं चुकाएंगे।

डेबिट कार्ड देंगे और हर हाट में खोलेंगे एटीएम
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि प्रदेश के 89 अनुसूचित क्षेत्र विकासखंडों के आदिवासियों को साहूकारों से मुक्त कराने के लिए सरकार उन्हें रुपे, डेबिट कार्ड देगी। इसके जरिए वे जरूरत पड़ने पर दस हजार रुपये तक ए.टी.एम से निकाल सकेंगे। उन्होंने बताया कि हर हाट बाजार में ए.टी.एम. खोले जायेंगे।

खारिज वनाधिकार प्रकरणों का परीक्षण होगा
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के जिन भी आदिवासियों के वनाधिकार के प्रकरण खारिज हुए हैं उनका पुनरीक्षण किया जायेगा और पात्र होने पर उन्हें वनाधिकार पट्टा दिया जाएगा। श्री नाथ ने कहा कि जहाँ भी वनाधिकार प्रकरण संबंधी आवेदन लंबित है उनका अभियान चलाकर निराकरण किया जायेगा।

मुख्यमंत्री मदद योजना
आदिवासी समाज में जन्म और मृत्यु के समय होने वाले रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए श्री कमल नाथ ने ‘मुख्यमंत्री मदद योजना’ का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि आदिवासी परिवार में अगर बच्चा या बच्ची का जन्म होता है तो उस परिवार को 50 किलो चावल अथवा गेहूँ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी तरह अगर किसी आदिवासी परिवार में मृत्यु होती है तो उस परिवार को एक क्विंटल चावल अथवा गेहूँ दिया जाएगा। इस मौके पर खाना बनाने के लिए उन्हें बड़े बर्तन भी उपलब्ध करवाए जाएंगे।

खेलकूद शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएँ
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर आदिवासियों की शिक्षा और खेल के क्षेत्र में अवसर देने के लिए भी कई घोषणाएँ की। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी बहुल क्षेत्रों में 40 एकलव्य विद्यालय खोले जाएंगे। इनमें आदिवासी बच्चों के लिए अच्छी पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सुविधाएँ भी होगी। इसी तरह 40 हाई स्कूलों का उन्नयन कर उन्हें हायर सेकेण्डरी स्कूल बनाया जाएगा। आदिवासी क्षेत्रों में सात नए खेल परिसर बनेंगें जिनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खेल सुविधाएँ होंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के विद्यालयों में पढ़ाने वाले 53 हजार अध्यापकों को शासकीय शिक्षकों के समान सुविधाएँ मिलेंगी।

आष्ठान योजना
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि आदिवासी समाज के देव-स्थलों को सुरक्षित रखने और उन्हें संरक्षण देने के लिए सरकार ने आष्ठान योजना शुरू की है। इससे हम आदिवासी समुदाय के कुल देवता और ग्राम देवी-देवताओं के स्थानों में स्थापित देवगुढ़ी/मढ़िया/देवठान का निर्माण करेंगे, उनका जीर्णोद्धार किया जायेगा और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सामुदायिक भवनों का निर्माण किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी संस्कृति और उनके गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने के लिए राजा शंकरशाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह की स्मृति में जबलपुर में 500 करोड़ रुपये की लागत से संग्रहालय बनाया जायेगा।

आदिवासी संस्कृति की सभ्यता और इतिहास को बचाने का संकल्प लें नौजवान
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कहा कि आज सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि हमारे आदिवासी समाज की गौरवशाली संस्कृति सभ्यता और इतिहास को सुरक्षित रखा जाये। उन्होंने आदिवासी समाज के युवकों का आव्हान किया कि वे आज के दिन यह संकल्प लें कि वे अपनी संस्कृति, सभ्यता और इतिहास को जीवित रखेंगे और उन्हें सुरक्षित रखेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज में जो भटकाव पैदा हो रहा है, आज उसे रोकने की आवश्यकता है। इसके लिए नौजवानों को आगे आने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमारे जंगल सुरक्षित हैं। अभी तक हमारा जो पर्यावरण प्रदूषण रहित था, उसका श्रेय आदिवासी समाज को जाता है जिन्होंने जंगलों को सुरक्षित रखा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में नई सरकार बनने के बाद हमने जो प्राथमिकताएँ तय की और जिस नई सोच के साथ काम शुरू किया उसमें सबसे पहले हमने आदिवासियों, पिछड़े क्षेत्रों और पिछड़े वर्गों की चिंता की और उनके हित में कई फैसले किए। श्री नाथ ने कहा कि प्रदेश में आदिवासी विकास के सर्वांगीण विकास और उनके हित में काम करने के लिये हम संकल्पित है।

प्रमुख बिन्दु

अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों द्वारा साहूकारों से लिए गए सभी कर्ज माफ होंगे।
15 अगस्त 2019 को साहूकारों से लिए गए सभी कर्ज पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगे।
जेवर, जमीन यदि गिरवी रखी है, तो वापिस की जाएगी।
भविष्य में कोई साहूकार अनुसूचित क्षेत्र में साहूकारी का धंधा करना चाहता है तो लायसेंस और नियमों का पालन करेंगे।
बगैर लायसेंस के साहूकारी का धंधा या नियमों का उल्लंघन किया तो ऐसा कर्ज नहीं चुकाया जाएगा।
आदिवासियों को डेबिट कार्ड दिए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर ए.टी.एम. से निकाल सकेंगे 10 हजार रूपए।
हर हाट बाजार में खोले जायेंगे ए.टी.एम।
खारिज वनाधिकार पत्रों का फिर से परीक्षण होगा और वनाधिकार पत्र जारी होंगे।
‘मुख्यमंत्री मदद योजना’ में आदिवासी परिवार में जन्म होने पर आधा क्विंटल और मृत्यु होने पर 1 क्विंटल खाद्यान्न मिलेगा। भोजन बनाने के लिए बड़े बर्तन भी उपलब्ध होंगे।
सभी वन ग्राम राजस्व ग्राम बनेंगे।
40 नये एकलव्य विद्यालय खुलेंगे ।
40 हाईस्कूल का हायर सेकेण्डरी में उन्नयन होगा।
आदिवासी क्षेत्रों में 7 नये खेल परिसर बनेंगे।
आदिवासी क्षेत्रों के विद्यालयों में पढ़ाने वाले 53 हजार अध्यापकों को शासकीय शिक्षक के समान सुविधाएँ मिलेंगी।
अनुसूचित जनजाति विकास विभाग का नाम अब आदिवासी विकास विभाग होगा।

गर्व है मुझे आदिवासी संबोधित करने पर
समारोह में अनुसूचित जनजाति विकास मंत्री श्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि नई सरकार ने कम समय में आदिवासी वर्गों के लिए जितने बड़े फैसले लिए है, वह एतिहासिक दस्तावेज बन गए हैं। उन्होंने कहा कि इन फैसलों से आदिवासी समाज की उन्नति का नया मार्ग खुलेगा और वे पिछड़ेपन के दंश से उबर कर सम्मानित जीवन जीने की ओर अग्रसर होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने जिस तरह से आदिवासियों के हित में फैसले लिए हैं इसलिए मैं कहता हूँ कि वे स्वयं आदिवासी है। उनकी चिंता इस वर्ग के लिए ऐसी है, जैसे वे हमारे समाज का प्रतिनिधित्व कर रहे हों। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने कहा कि मुझे गर्व है कि उन्हें आदिवासी माना गया उन्होंने कहा यह मेरे लिए सम्मान और आदर की बात है और मुझे इस पर गर्व है।

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