इटारसी। ग्रामीण संस्कृति के पर्व भुजलिया के दूसरे दिन आदिवासी परिवारों ने आपसी सद्भाव से यह पर्व मनाया। आदिवासी परिवार इस पर्व पर परंपरागत नृत्य करते और आपसी बैरभाव मिटाकर एकदूसरे से गले मिलकर खुशियां मनाते हैं।
आदिवासी अंचलों में भुजलिया पर्व लोक परंपरा के अनुसार मनाया गया। ग्राम खटामा में भुजरिया के द्वितीय दिवस पर त्योहार मनाया। मीडिया प्रभारी विनोद बारीबा के अनुसार यह त्योहार बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखत है। इस दिन आदिवासी नाचते और गाते हैं तथा पुराने लड़ाई झगड़े को हंसी खुशी में बदल कर एकजुट होते हैं, गले मिलते हैं। इस पर्व पर किसी भी प्रकार का मतभेद नहीं रखते हैं। भुजलिया पर्व पर आदिवासियों ने डंडा नृत्य और गीत के माध्यम से पूरे गांव में घूमकर खुशियां मनायी और गांव के हनुमान मंदिर के पास विसर्जन किया। इस दौरान बलदेव तेकाम, जीतेंद्र बावरिया, गोवर्धन कलमे, अनिल चीचाम, शंकर उईके, मंगल सिंह, शैलू, विनोद नागले, सुनील नागले, लखन उईके, रामचरण तुमराम, सुरेश कलमे, रतिराम कलमे, महेश मेहरा, सज्जन, अजीत बरकड़े एवं ग्रामीण उपस्थित थे।