आध्यात्मिक परिवर्तन लाती है भागवत -प्रियंका तिवारी

इटारसी। श्रीमद् भागवत कथा भ्रगवान की वह कर्मज्ञान रूपी मानस मंदाकनी है जिसे पूर्ण मनोभाव से आत्मसात करने पर सांसारिक जीवन में आध्यात्मिक परिवर्तन प्राप्त होता है। उक्त उदर श्रीधाम वृंदावन की लोकप्रिय प्रवचकर्ता बाल विदुषी सुश्री प्रियंका तिवारी ने वृंदावन गार्डन न्यास कालोनी इटारसी में व्यक्त किये।
कथा के शुभारंभ पर एक शोभायात्रा कावेरी इस्टेट के दुर्गा मंदिर से निकाली गई,जो मुख्य मार्ग से होते हुए कथा स्थल पहुंची। कथा व्यास मंच के पास विद्वान ब्राह्मणों ने मुख्य यजवान अमृता मनीष ठाकुर, ममता सुनील वाजपेयी एवं संयोजक जसवीर सिंघ छाबड़ा से पूजा अर्चना कराने के पश्चात कथा वाचक सुश्री प्रिंयका तिवारी को व्यासगादी ग्रहण करायी जहां यजवानों ने उनका समस्त श्रोताओं की ओर से स्वागत किया। व्यास मंच से प्रथम दिवस को विस्तार देते हुये बाल विदुषी प्रियंका तिवारी ने श्रीमद् भागवत के चार अक्षरों का अलग अलग अर्थ बताते हुए कहा की भ से भक्ति, व से वैराग्य, ग से ज्ञान और त से त्याग यानी जीवन भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग का होना अति आवश्यक है, तभी हम अपने जीवन के मानव मूल्यों को चरितार्थ कर पायेंगे। यानी परमात्मा ने जिन मूल्यों के लिये जिन कार्यों के हमें यह मानव जीवन प्रदान किया है उसेे पूर्ण कर पायेंगे। यह तभी होगा, जब हम भागवत रूपी ज्ञान को आत्मसात करेंगे। सुश्री प्रियंका तिवारी ने कहा की श्रोता दो प्रकार के होते हैं एक वह होता है जो मनोयोग से कथा श्रवण कर उसे जीवन मे उतारता है, वह सच्चा श्रोता होता है। एक श्रोता किश्त के श्रोता होते हैं जो हमेशा दूसरो की बुराई करते है। यह श्रोता भी अति आवश्यक है, चूंकि श्रोता रूपी बुराई से जीवन में निखार आता है। बाल विदुषी सुश्री तिवारी ने कहा कि बुराई उन्हीं व्यक्तियों की होती है, जिनका जीवन प्रभावशाली होता है। पत्थर उन्हीं वृक्षों पर मारे जाते हैं जहा फल लगे होते है। इस संसारिक उदाहरण के साथ ही प्रवचनकर्ता सुश्री प्रियंका तिवारी ने श्रीमद् भागवत के सातों दिन के संक्षिप्त महत्व से श्रोताओं को आवगत कराया।

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