एक जनपद सदस्य के सपनों को मिले पंख

इटारसी। मैं अकेला ही चला था, जानिबे मंजिल, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। ये पंक्तियां, सामाजिक कार्यकर्ता और वर्तमान में अपनी जीवटता के कारण तवानगर से सर्वसम्मति से जनपद सदस्य चुने गए मनोज गुलबाके पर सटीक बैठती हैं। जब जिला पंचायत ने जिले की पंचायतों के विकास का मॉडल प्रस्तुत किया तो इसमें वे सारी बातें शामिल की हैं, जिनके लिए श्री गुलबाके बीते करीब एक दशक से प्रयास कर रहे थे।
करीब आधा सैंकड़ा $खत, ज्ञापन और दर्जनों बार अफसरों से रूबरू हुए मनोज गुलबाके को अपने प्रयासों को पूरा होते देख काफी प्रसन्नता हो रही है। उनके कई आइडियाज़ पर सरकार ने भले ही प्रत्यक्ष तौर पर उनको श्रेय नहीं दिया हो, लेकिन काम अवश्य किया है। जब जिला पंचायत ने ग्राम के विकास मॉडल को प्रस्तुत करके जिले की आधा सैंकड़ा ग्राम पंचायत के सवा सौ गांवों को जगमग करने और पेयजल के लिए हिवरे बाजार का मॉडल अपनाने की घोषणा की तो सबसे अधिक खुशी तवानगर के जनपद सदस्य मनोज गुलबाके को ही हुई। बावजूद इसके स्वयं श्रेय लेने के, उन्होंने कहा कि उनके सपनों को पंख मीडिया ने लगाए। सरकार ने उनकी भावनाओं को अपनी नीति में स्थान दिया, यही काफी है।
पिछले साल उपवास की घोषणा की थी
मनोज गुलबाके ने 22 अप्रैल 16 को बेमियादी उपवास की घोषणा करके मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र दिया था जिसमें जल संरक्षण हेतु नागरिकों को जागरुक करने में प्रशासन की मदद, ग्रामीण विकास हेतु हिवरे बाजार जैसा विकास हर गांव में हो, गांवों में जल कार्यशाला जैसी मांगें रखी थीं। इससे पहले 23 फरवरी 16 को उन्होंने ग्राम पंचायत रानीपुर को राजस्व ग्राम घोषित करने के साथ ही वहां लघु उद्योग स्थापित करने की मांग भी की थी तथा वहां सौर उर्जा प्लांट स्थापित करने का आग्रह भी किया था। तवानगर में लघु उद्योगों की स्थापना प्रारंभ हो गई है।
सरकार ने कहा था फालतू की बातें
बात सन् 2009 की, जब जनपद सदस्य श्री गुलबाके ने आइडियाज़ फॉर सीएम में महाराष्ट्र के हिवरे बाजार की तरह ही मप्र के गांवों में विकास का आइडिया दिया था। उस वक्त उनके आइडिया को यह कहते हुए नश्ती से बाहर कर दिया था कि ये सब बेकार की बातें हैं। इसके बाद अप्रैल 16 में पीएम ने मन की बात में इस गांव का उदाहरण दिया तो मनोज की उम्मीदें फिर जागृत हुई और सोमवार को जब जिला पंचायत ने इसे अपनी योजना में शामिल किया तो मनोज की खुशी का ठिकाना न रहा। श्री गुलबाके ने कहा कि उनका संघर्ष काम आ रहा है।

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