किसान नहीं पहुंच रहे गेहूं उपार्जन केन्द्रों पर उपज लेकर

इटारसी। पांच दिन में इटारसी कृषि उपज मंडी परिसर में बने गेहूं के दो खरीद केन्द्र में लगभग 12 सौ क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका है। दरअसल, किसान अभी अपनी उपज लेकर खरीद केन्द्रों तक नहीं पहुंच पा रहा है। खरीद केन्द्रों तक उपज कम पहुंचने का एक कारण यह है कि उच्च स्तर से अभी किसानों के पास मैसेज भी कम पहुंच रहे हैं और कुछ केन्द्रों का विभाजन करके अन्य जगह पर केन्द्र बढ़ा दिए हैं।
इस वर्ष गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए गांवों की मैपिंग की है। कृषि उपज मंडी में जहां खरीद के दो केन्द्र बनाए गए हैं तो वहीं भीलाखेड़ी में भी दो केन्द्र हैं। इसी तरह से अन्य व्यवस्थाएं भी पूर्व की अपेक्षा बदली गई हैं। खरीद केन्द्रों के सूत्र बताते हैं कि इस वर्ष व्यवस्थाएं पहले से बेहतर हुई हैं, अत: खरीद केन्द्रों पर आपाधापी से बचा जा सकेगा। अभी किसान भी अन्य दूसरे काम में व्यस्त हैं तो उ”ा स्तर से किसानों के पास मैसेज भी कम संख्या में पहुंच रहे हैं। हालात यह है कि अब तक इटारसी मंडी में बने दोनों केन्द्रों में पांच अप्रैल से अब तक महज 12 सौ क्विंटल के करीब गेहूं बिकने के लिए आ सका है। इटारसी मंडी में बने सनखेड़ा सोसायटी के खरीद केन्द्र के प्रभारी सौरभ सोलंकी का कहना है कि फिलहाल किसान कम संख्या में आ रहे हैं और व्यवस्थाएं भी बेहतर हैं। परेशानी केवल बारदान की है जो बड़ी संख्या में कटे-फटे निकल रहे हैं।
it9419 4रबी विपणन वर्ष 2019-20 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी 25 मार्च से 24 मई तक चलने की तिथि निर्धारित की है। हालांकि जिले में 5 अप्रैल से खरीदी का कार्य प्रारंभ हुआ है। इस बार समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी पर प्रति क्विंटल 90 रुपए का फायदा किसानों को मिलेगा। केन्द्र सरकार ने इस बार समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करते हुए अब 1750 से इसे 1840 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। सप्ताह में पांच दिन खरीद का कार्य चलेगा और शनिवार और रविवार को खरीदी का कार्य नहीं होगा। इटारसी सोसायटी के प्रबंधक किशोर चौधरी बताते हैं कि 5 अप्रैल से खरीद कार्य शुरु हो गया है। पहले दिन 5 अप्रैल को केवल एक किसान ने 64 क्विटल 50 किलो गेहूं लाकर बेचा था। 6 एवं 7 अप्रैल को शनिवार-रविवार होने से खरीद कार्य बंद रहा। अब तक सात किसानों से लगभग छह सौ क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका है। किसानों को एफएक्यू का अनाज लाने की सलाह दी जा रही है। यदि किसान को अ’छे दाम मिल रहे हैं तो वह व्यापारी को भी बेच सकता है।

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