कृषि महाविद्यालय पवारखेड़ा :116.23 करोड़ रुपए स्वीकृत

Post by: Manju Thakur

इटारसी।देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा दिया था, जय जवान, जय किसान। इसके बाद हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने इसे आगे बढ़ाया और जवान तथा किसान की विज्ञान से दोस्ती करायी। उनका नारा था, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान। आज सरकार इसी राह पर चल रही है और इसी राह पर चलकर देश की तरक्की भी हो रही है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में किसान की आय दोगुनी करने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
यह बात मप्र विधानसभा के अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा ने यहां पवारखेड़ा में कृषि महाविद्यालय के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। कृषि महाविद्यालय के नवनिर्मित कक्षों के लोकार्पण समारोह में जवाहर लाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पीके विसेन, कलेक्टर प्रियंका दास, जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल, सहकारी बैंक संचालक पीयूष शर्मा, जनपद पंचायत अध्यक्ष संगीता सोलंकी, उपसंचालक कृषि जितेन्द्र सिंह मौजूद थे।

जीन बैंक का भी उद्घाटन किया
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने आज यहां इस भवन के साथ जीन बैंक (जनन द्रव्य संग्रह भवन) का उद्घाटन भी हुआ है, जो संभवत: देश में पहला है। इस अवसर पर डॉ.शर्मा ने कहा कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था की आधार है। इस कॉलेज से निकलने वाले कृषि वैज्ञानिक इसे आगे बढ़ाएंगे, ऐसी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती बड़ा खतरा है, हम पहले समझ नहीं पाए। आज पंजाब में कैंसर एक्सप्रेस चल रही है, वहां के लोग जैसलमेर से गेहूं खरीदकर खाते हैं। आप हमें बिना उत्पादन कम किए, बिना घाटे के हर्बल पर लेकर जाएं। देश में मेडिकल कॉलेज की कम, एग्रीकल्चर कालेज की ज्यादा जरूरत पड़े ऐसी स्थिति लाने की जरूरत है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने बताया कि जिले को यह कृषि महाविद्यालय बड़े प्रयासों के बाद मिला है, हमने स्वीकृति लाए और कुलपति ने तत्काल राशि स्वीकृत करके इसके भवन की भव्यता के लिए प्रयास किए और यह तैयार है।

आपके लिए खुशी का दिन
कलेक्टर प्रियंका दास ने किसानों और कालेज के छात्र-छात्राओं से कहा कि आज आपके लिए खुशी का दिन है। आधुनिक भवन आपको मिल रहा है। आप यहां लगन से सीखें और भविष्य में कृषि वैज्ञानिक के रूप में देश की कृषि का परिदृश्य बदलें, क्योंकि आज किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता है, यह पीड़ा और चिंता की बात है। इसके पीछे उन्होंने कहा कि हम वैज्ञानिक तरीके से खेती नहीं करते, जबकि केन्द्र और राज्य सरकारें कृषि को लाभ का धंधा बनाने के लिए अनेक तरह की योजनाएं संचालित कर रही हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष कुशल पटेल ने कहा कि प्रदेश को कृषि कर्मण पुरस्कार सभी किसानों, कृषि वैज्ञानिकों और अन्य कृषि से जुड़े सभी लोगों के सम्मिलित प्रयासों से मिलता है। डॉ. पीके मिश्र ने महाविद्यालय के विषय में जानकारी दी तथा बताया कि प्रदेश में दो महाविद्यालय कृषि और उद्यानिकी के लिए और प्रारंभ हो रहे हंै।

दस के बराबर एक ही हैं डॉ. शर्मा
जवाहरलाल नेहरु कृषि महाविद्यालय के कुलपति डॉ. पीके विसेन ने कहा कि कृषि महाविद्यालय की स्थापना काफी कठिन कार्य होता है। इसके लिए सौ करोड़ रुपए का बजट आवश्यक होता है, कम से कम दस लोगों का योगदान इसमें लगता है। पवारखेड़ा के इस महाविद्यालय को लाने में योगदान देने वाले पहले से दसवे व्यक्ति तक डॉ. शर्मा हैं। डॉ. विसेन ने कहा कि आपका जिला भाग्यशाली है कि यहां डॉ.सीतासरन शर्मा जैसा नेतृत्व मिला है, प्रदेश को ऐसे अनेक सीतासरन शर्मा की आवश्यकता है, तभी विकास का परिदृश्य बदल सकता है।

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ऐसा होगा कृषि महाविद्यालय भवन
कुल रकबा – 50 हेक्टेयर
पहला सत्र शुरु हुआ – 2016 में
कुल पदों की स्वीकृति – 103
प्रशासनिक भवन लागत – 116.23 करोड़
(इसमें स्टाफ क्वार्टर, हॉस्टल, गौशाला आदि रहेंगी)
वर्तमान कक्षा भवन लागत – 1.19 करोड़ रुपए
महाविद्यालय में स्वीकृत पद
कुल 48 पद – अध्यापन पक्ष से
अन्य पद – 55 क्लर्क, ड्रायवर, प्यून आदि
वर्तमान में स्टुडेंट – पूरे प्रदेश से 141

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