इटारसी। तवा जलाशय में अवैध मस्याखेट करने वाले बिहारी मछुआरों को शुक्रवार को दोपहर सुखतवा में संचालित सर्वोदय मत्स्य सहकारी समिति और केवट मत्स्य सहकारी समिति के करीब डेढ़ दर्जन सदस्यों ने छापामार कार्रवाई करके पकड़ लिया था। लेकिन, ठेकेदार के करीब दो दर्जन लोगों ने पहुंचकर दबिश दी और मछुआरों को जब्त मछली और जाल सहित छुड़ा लिया है। ठेकेदार के कर्मचारियों की संख्या अधिक होने से मत्स्य समिति के सदस्यों को मजबूरी में समझौता करना पड़ा। हालांकि आगे से सुखान जाल से मत्स्याखेट नहीं करने पर समझौता हुआ है। मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि दूसरे प्रांत के मछुआरों और सुखान जाल पर प्रतिबंध के बावजूद यहां यह काम चल रहा है और पुलिस तथा मत्स्य विभाग हाथ पर हाथ रखे बैठा है।
तवा जलाशय के मल्लूपुरा घाट पर आज दोपहर सुखतवा की दो समिति सर्वोदय समिति और केवट समिति ने बिहार से ठेके पर आकर प्रतिबंधित सुखान जाल से मछली का शिकार करने वाले करीब एक दर्जन मछुआरों को पकड़ा था, और करीब दो दर्जन मछुआरे मौका पाकर भाग निकले थे। दोपहर में दोनों समिति के सदस्य जनपद सदस्य सुनील बाबा और भाजयुमो अध्यक्ष विष्णु कहार के साथ झुनकर के पास मल्लुपुरा घाट पहुंचे और मछुआरों को पकड़ा। इनके पास से करीब पांच क्विंटल मछली और दो सुखान जाल भी जब्त किए थे। बता दें कि हर वर्ष ये समितियां ही अवैध मछुआरों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर रही हैं, पुलिस और मत्स्य विभाग की ओर से अवैध मछुआरों को पकडऩे की कोई कार्रवाई नहीं होती है।
पिछले वर्ष भी पकड़े थे बिहारी मछुआरे
पिछले वर्ष भी 10 नवंबर को दोनों समिति के सदस्यों ने इन अवैध मछुआरों को पकड़कर मछली सहित केसला पुलिस को सौंपा था और पुलिस ने मामले में सिलवानी के विकास खंडेलवार नामक व्यक्ति पर धारा 379, 7 (1) (अ) मत्स्याखेट अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया था। इस बार भी पकड़े गए अवैध मछुआरों ने विकास का ही नाम बताया है कि उसके बुलावे पर ही वे बिहार से जाल लेकर यहां पहुंचे हैं और करीब एक पखवाड़े से यह काम कर रहे हैं। मछुआरों का दलाल प्रमेंन्द्र नामक युवक ने बताया कि वह विकास के बुलावे पर ही यहां आए हैं। समितियों ने तो मछली सहित इन मछुआरों को पकड़ लिया है, देखना है कि अब पुलिस या मत्स्य विभाग इन पर क्या कार्रवाई करता है, या फिर पूर्व की तरह इन मछुआरों को छोड़ दिया जाता है।
कलेक्टर को शिकायत के बाद रुका था मत्स्याखेट
वर्ष 2016 में मांझी मछुआ कल्याण समिति ने कमिश्रर, कलेक्टर को एक ज्ञापन देकर तवा जलाशय में बिहारी मछुआरों द्वारा अवैध मत्स्याखेट की शिकायत करते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की थी। इसके बाद मत्स्याखेट रुका था। संघ का कहना है कि बाहरी मछुआरों के कारण स्थानीय मछुआरों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो रहा है। पिछले वर्षों में भी बड़ी संख्या में बिहार से आए मछुआरे सुखान जाल से मछलियों का अवैध शिकार करते थे जिसकी शिकायत होने के बाद इस वर्ष के प्रारंभ में यह काम बंद कर दिया था। लेकिन इस वर्ष पुन: यह काम शुरु हो गया है। बिहार के मछुआरे स्थानीय मछली माफियाओं के साथ मिलकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के दायरे में आने वाले क्षेत्र कोटमी घाट, खमादा के पास, मल्लूपुरा घाट, सुपलई, मालनी नदी पर अवैध मत्स्याखेट करते हैं। वर्षाकाल में प्रजनन के दौरान सबसे छोटी साइज की मछलियों का शिकार नवंबर से मार्च तक चलता है। बिहार के मछुआरे आकर तवा में अवैध मत्स्याखेट शुरु कर चुके हैं।
बाहर के मछुआरे नहीं कर सकते
मध्यप्रदेश शासन द्वारा उन मछुआरों को मत्स्याखेट के लिए मंजूरी दी जाती है जो सहकारी समिति के सदस्य हैं और मप्र में निवास करते हैं। इन मछुआरों को शासन की योजना अंतर्गत जिला मत्स्य विभाग से आवेदन लेकर हर वर्ष मछुआ परिचय पत्र बनाकर दिया जाता है। इसके बाद ये स्थानीय मछुआरे प्रदेश में कहीं भी जाकर मत्स्याखेट कर सकते हैं। लेकिन दूसरे राज्यों के मछुआरों को बिना अनुमति के मत्स्याखेट प्रदेश के किसी भी जलाशय में करने की अनुमति नहीं है। यदि ऐसे बाहरी मछुआरे प्रदेश के जलाशय में मत्स्याखेट करते हैं तो वह अवैध की श्रेणी में आता है।
इनका कहना है…!
आज दोपहर में हमने सुखतवा की दो समितियों के साथ मल्लुपुरा घाट पर जाकर करीब एक दर्जन मछुआरों को पकड़ा और कुछ मौका देखकर भाग निकले हैं। मौके से करीब पांच क्विंटल छोटी मछली और सुखान जाल भी जब्त किए हैं। हमारे साथ न तो पुलिस आयी और ना ही मत्स्य विभाग की टीम।
सुनील बाबा, जनपद सदस्य
हम पर दबाव डालकर समझौता कराया गया है। ठेकेदार के आदमियों की संख्या अधिक थी और हम किसी प्रकार का खून खराबा नहीं चाहते थे। लेकिन आगे भी यही स्थिति रही और हमारे पेट पर बन आयी तो हम इससे भी परहेज नहीं करेंगे।
रामविलास कहार, सदस्य सर्वोदय मत्स्य सहकारी समिति
आज समझौता हुआ है, हम कुछ दिन इंतजार करेंगे। यदि बिहारी मछुआरों ने फिर भी यहां अवैध मत्स्याखेट बंद नहीं किया तो हमें मजबूरी में कड़ा कदम उठाना पड़ेगा, इसके लिए चाहे फिर लड़ाई-झगड़े की नौबत आयी तो पूरा गांव एकसाथ खड़ा होगा।
विजय कहार, अध्यक्ष सर्वोदय मत्स्य सहकारी समिति
ये कहते हैं अधिकारी…!
मैं अभी बाहर हूं, आपसे बाद में बात करूंगा।
जितेन्द्र ठाकुर, प्रभारी अधिकारी मत्स्य संघ