खुदा मुझे वो जगह बता, जहां इंसान मिलते हैं

गजलकार के सम्मान में अभा साहित्य परिषद की काव्य गोष्ठी
इटारसी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद नर्मदापुरम संभाग के तत्वावधान में गीत गजलकार सुरजीत सिंह जख्मी के सम्मान में परशुराम भवन दूसरी लाइन में काव्य गोष्ठी हुई। काव्य गोष्ठी में सुरजीत सिंह जख्मी, जीपी दीक्षित एवं चंद्रकांत अग्रवाल मंचासीन हुए। श्री जख्मी का स्वागत शाल, श्रीफल पुष्पहार से करने के बाद काव्य गोष्ठी शुरु हुई।
आलोक शुक्ला अनूप ने उंगलियां कर दे कुम्हारों की तरह, बरबस किरदार लोहारों की तरह, हिमांशु शर्मा होशंगाबाद यह महावर यह हल्दी ये बेंदी देखी, बाद में उसके हाथों में मेहंदी देखी, सतीश पाराशर हमें बताओ नेताजी हम आपस में क्यों लड़ें, विनय चौरे शिव ही साकार है, शिव ही निराकार है प्रेमी प्रेत को समझना बस के बाहर है, प्रमिला किरण झूठ धोखे फरेब से भरी दुनिया से दूर रहती हूं कैसे जीते हैं नहीं जानती बस इंसानियत कर्म में रखती हूं, भगवानदास बेधड़क गांधी तो एक विचार है विचार कभी नहीं मर सकता, एसआर धोटे मुक्ता मणि तू चिंतामणि सर्वश्रेय चूड़ामणि तू, देवेंद्र सोनी बेटी कल भी थी आज भी हो, आगे भी रहोगी, तुम पिता का नाज हो, चंद्रकांत अग्रवाल बेटी घर की रौनक होती है, बेटी घर का आभूषण होती है, गुलाब भूमरकर आओ चलें दूर कहीं थोड़ा घूम आएं हम, इन हसीन वादियों को चूम आयें हम, बीके पटेल एक अकेले जाओगे तो कोई लुत्फ नहीं आएगा, मेले में जाना है तो फिर अपना सारा गांव चले, अंत में सूरजीत सिंह जख्मी ने अपने अंदाज में अपने गीतों के माध्यम से माहौल को जीवंत कर दिया। उन्होंने कहा हिंदू, सिख, इसाई, मुसलमान मिलते हैं, नकली फकीर कहीं शैतान मिलते हैं, मैं थक गया हूं ढूंढ-ढूंढ कर खुदा, मुझे वो जगह बता जहां इंसान मिलते हैं। रात दफन होता हूं, सकून पाने के लिए ओढ़ कर कफन सोता हूं, गम भुलाने के लिए मगर मौत है वो अपने आगोश में लेती ही नहीं, हर सुबह जगा देती है गम उठाने के लिए। स्वागत कार्यक्रम का संचालन राज कुमार दुबे ने, काव्य गोष्ठी का संचालन बीके पटेल ने किया। आभार बृजमोहन सिंह सोलंकी ने माना। अंत में शहर के समाजसेवी सतीश गोठी के निधन पर 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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