गायत्री जयंती पर इस विधि से करें व्रत, हर मनोकामना होगीं पूरी सम्पूर्ण जानकारी्……..
गायत्री जयंती महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। माता गायत्री को हिंदू भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री कहा जाता है। माता गायत्री की पूजा अक्सर वेदों में शिव, विष्णु और ब्रह्मा की देवी के रूप में की जाती है। हर साल गायत्री जयंती जेष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है।
इस साल 11 जून 2022 दिन- शनिवार को गायत्री जयंती मनाई जाएगी। कुछ लोग श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि को भी गायत्री जयंती मनाते हैं।
गायत्री जयंती शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि शुरू: | 10 जून 2022, शुक्रवार 07:25 (सुबह) |
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समाप्त: | 11 जून 2022, शनिवार 05:45 (सुबह) |
गायत्री जयंती क्यों मनाते है
इसी दिन माता गायत्री पृथ्वी पर प्रकट हुई थीं। यही वजह है कि हिंदू संस्कृति में इस त्यौहार को उत्साह के साथ मनाया जाता है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार माता गायत्री को सर्वोच्च देवी माना जाता है।
इसी दिन प्रसिद्ध ऋषि विश्वामित्र ने इस दिन पहली बार गायत्री मंत्र का पाठ किया था। जो लोग इस दिन सर्वोच्च भक्ति के साथ देवी गायत्री की पूजा करते हैं, उन्हें समृद्धि, स्वास्थ्य और सफलता के साथ-साथ आध्यात्मिक और सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है।
गायत्री जयंती कैसे मनाई जाती है
गायत्री जयंती एक धार्मिक त्योहार है जिसे श्रृद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। माता गायत्री से पूजा और प्रार्थना की जाती हैं। गायत्री जयंती पर कई कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है। सबसे आध्यात्मिक बात यह है कि पूजा और प्रार्थना के दौरान भक्त गायत्री मंत्र का ही जाप करतें हैं। इस मंत्र के जाप से भक्तों को सभी प्रकार के पापों और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है।
गायत्री जयंती पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके गंगाजल छिड़ककर करें।
- इसके बाद माता गायत्री और समस्त देवी-देवताओं को प्रणाम करें व दीप प्रज्वलित करें।
- माता गायत्री का ध्यान करते हुए पुष्प अर्पित करें।
- इसके बाद आसन लगाकर वहीं पर गायत्री मंत्र का जाप करें।
- जाप पूर्ण हो जाने के पश्चात माता गायत्री को भोग लगाएं।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का महत्व
हिंदू धार्मिक पुराणों और शास्त्रों में इस पवित्र मंत्र की सर्वोच्चता का उल्लेख है। वैदिक काल से ही इस पवित्र मंत्र की शक्ति और प्रभाव सर्वविदित है। गायत्री मंत्र का जाप व्यक्ति को जीवन के कष्टों और दुखों से मुक्ति दिलाता है। वास्तव में, यह सभी प्रकार के कष्टों को दूर कर भक्तों के जीवन को सुख और आनंद से भर देता है।
क्यों कहा जाता है माता गायत्री को वेदमाता
गायत्री संहिता के अनुसार, भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥ मतलब गायत्री माता, सरस्वती, लक्ष्मी एवं पार्वती तीनो का रूप हैं। गायत्री मंत्र के लिए शास्त्रों में लिखा है कि सर्वदेवानां गायत्री सारमुच्यते जिसका मतलब है गायत्री मंत्र सभी वेदों का सार है। इसलिए माता गायत्री को वेदमाता कहा गया है।
माता गायत्री का उल्लेख ऋक्, यजु, साम, तैत्तिरीय आदि सभी वैदिक संहिताओं में भी है। भगवान सूर्य ने इन्हें ब्रह्माजी को समर्पित कर दिया। तभी से इनको ब्रह्माणी भी कहा जाने लगा । माता गायत्री को ब्राह्मणों की आराध्या देवी कहा जाता हैं। इसलियें माता गायत्री को परब्रह्मस्वरूपिणी भी कहा गया है। वेदों, उपनिषदों और पुराणादि में इनकी विस्तृत महिमा का वर्णन मिलता है।
ऐसे हुआ माता गायत्री का विवाह
हिन्दू रिवाज के अनुसार किसी भी पूजा, अर्चना, यज्ञ में शादीशुदा इन्सान को जोड़े में ही बैठना चाहिए। जोड़े में बैठने से उसका फल जल्दी व अवश्य मिलता है। एक प्रसंग के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन किया। परंपरा के अनुसार यज्ञ में ब्रह्माजी को पत्नी सहित ही यज्ञ में बैठना था
लेकिन किसी कारणवश ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री को आने में देर हो गई। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद माता गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया।
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माता गायत्री को क्यो माना गया है पंचमुखी
हिंदू धर्म मे माता गायत्री को पंचमुखी माना गया है, जिसका अर्थ है यह संपूर्ण ब्रह्मांड जल, वायु, पृथ्वी, तेज और आकाश के पांच तत्वों से बना है। संसार में जितने भी प्राणी हैं, उनका शरीर भी इन्हीं पांच तत्वों से बना है। इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव के भीतर गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है। यही कारण है गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है। इसीलिए भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर मनुष्य को प्रतिदिन गायत्री उपासना करनी चाहिए।
गायत्री मंत्र का जाप करते समय इन बातों का ध्यान रखें
- गायत्री मंत्र जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
- गायत्री मंत्र जाप के लिए सुबह का समय श्रेष्ठ होता है, किंतु यह शाम को भी किया जा सकता है।
- गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण पवित्र रखें।
- तुलसी या चन्दन की माला का उपयोग करें।
- ब्रह्ममुहूर्त में यानी सुबह होने के लगभग 2 घंटे पहले पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र जाप करें। शाम के समय सूर्यास्त के घंटे भर के अंदर जाप पूरे करें। शाम को पश्चिम दिशा में मुख रखें।
- गायत्री मंत्र जाप करने वाले का खान-पान शुद्ध होना चाहिए।
गायत्री जयंती पर उपासना करने के फल
- गायत्री जयंती की पूर्व संध्या पर देवी गायत्री की पूजा करने का एक महत्वपूर्ण महत्व है।
- गायत्री मंत्र के निरंतर जाप से भक्त अपने सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं
- यह आध्यात्मिक विकास और ईश्वर की प्राप्ति में मदद करता है
- यह मंत्र चमत्कारी शक्तियों से भरा है जो भक्तों को सामाजिक सुख, धन लाभ और भगवान का आशीर्वाद प्रदान करता है
- बुद्धि प्राप्त करने और जीवन और करियर में सफलता प्राप्त करने में बच्चों के लिए सहायक
- यह गरीबी को दूर करता है।
- शत्रुओं के कारण आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है