चिंता : खुले आसमान के नीचे रखा है हजारों क्विंटल अनाज
इटारसी। आसमान पर बादल हैं, छींटे और बौछार भी पड़ रही है। ऐसे में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी केन्द्रों में चिंता है। कृषि उपज मंडियों और वेयर हाउसों में तो बारिश से अनाज को बचाने के लिए व्यवस्थाएं हैं। लेकिन, जहां खुले खेतों में अनाज के हजारों बोरे रखे हुए हैं, वहां सबसे अधिक चिंता है। दरअसल, मंगलवार को दोपहर में आसमान पर घने बादलों ने खरीद केन्द्रों पर सोसायटी की चिंता बढ़ा दी तो जिन किसानों को गेहूं नहीं बिका है, उनके माथे पर चिंता की लकीरें थीं।
इन दिनों इटारसी सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का कार्य चल रहा है। बड़ी मात्रा में खरीदा गेहूं और बिकने आया गेहूं खुले आसमान के नीचे पड़ा है जिसका परिवहन नहीं हुआ है। कृषि उपज मंडी में खरीदी केन्द्र के सूत्र बताते हैं कि परिवहन एक दिन लेट हो रहा है जिससे चिंता बनी रहती है। मौसम अचानक बदल रहा है, ऐसे में चिंता बढ़ रही है। किसानों को कहा जा रहा है कि वे अपने गेहूं को सुरक्षित करने के लिए तिरपाल आदि से ट्रॉलियों को ढंककर रखें जबकि सोसायटी भी खुले में रखे अनाज को सुरक्षित करने के उपाए कर रही है। कृषि मंडियों में रखे अनाज को सुरक्षित करने के लिए तो शेड बने हैं। लेकिन सबसे अधिक परेशानी ग्रामीण अंचलों में है जहां खेतों में खरीदी केन्द्र बने हैं और वहां शेड आदि की व्यवस्था नहीं है। हालांकि मंगलवार को तेज बारिश नहीं हुई लेकिन आसमान पर छाए बादल चिंता बढ़ रहे हैं। ऐसे में यदि जल्द ही खरीदे गए गेहूं का परिवहन नहीं हुआ तो सोसायटी और किसानों का बड़ा नुकसान हो सकता है। तरोंदा सोसायटी में मंगलवार को बारिश से खरीदा गया अनाज भीग गया जबकि ज्यादातर किसानों ने अपनी व्यवस्था कर ली लेकिन सोसायटी अनाज नहीं बचा सकी। तरोंदा सोसायटी में गेहूं बेचने आए ग्राम पीपलढाना के किसान लक्ष्मीनारायण चौरे का कहना है कि यहां तुलाई में टाइम लग रहा है। उनका अनाज सोमवार को तुलना था। यहां तौलकांटों की कमी है। मौसम खराब हो रहा है, ऐसे में हमारा अनाज नहीं तुला तो हमें हुए नुकसान की भरपायी कौन करेगा। वे तिरपाल साथ लाए थे जिसे नीचे बिछा लिया है। अब ऊपर से ढंकने के लिए तिरपाल भी नहीं है।