चौपाटी पर चला जेसीबी का पंजा, डेढ़ दर्जन दुकानें हटायीं

Post by: Manju Thakur

इटारसी। 11 नवंबर 2018 को नगर पालिका ने जिन डेढ़ दर्जन चाट-पकोड़े वालों को रोजगार देने के लिए विश्राम गृह के साइड में चौपाटी बनाकर स्थापित किया था, 30 अगस्त 2019 को उनको फिर से हटा दिया है। नगर पालिका ने ही इनको लोक निर्माण विभाग की भूमि पर यह कहकर रोजगार दिया था कि अब वे यहां स्थायी रूप से यहां अपने परिवार की रोजी-रोटी चला सकेंगे। लेकिन, पीडब्ल्यूडी के एक आवेदन पर प्रशासन ने उनके कई सपनों को जेसीबी के पंजे के नीचे रोंद दिया। बहरहाल, शहर में राजनीतिक वर्चस्व के कारण गरीबों की फजीहत जैसी चर्चाएं हैं और हरेक की अपनी दलीलें हैं। फिलहाल नगर पालिका के अधिकारी इन हटाए लोगों को मृत्युंजय टाकीज के पीछे स्थापित करने की बात कह रहे हैं।
शुक्रवार, 30 अगस्त का दिन रेस्ट हाउस के साइड में करीब दो वर्ष पूर्व बनी चौपाटी हटा दी गयी। सुबह नगर पालिका के राजस्व विभाग के अधिकारियों के नेतृत्व में अतिक्रमण विरोधी अमले ने चौपाटी को हटा दिया और इसी के साथ यहां रोजगार कर रहे करीब डेढ़ दर्जन दुकानदार फिलहाल बेरोजगार हो गये हैं। इस चौपाटी को नगर पालिका ने ही बनाया था और नगर पालिका ने ही हटा दिया।
चौपाटी हटाने के पीछे राजनीतिक कारण बताये जा रहे हैं। दरअसल, जिस वक्त 11 नवंबर 2017 को इस चौपाटी का निर्माण किया गया था, प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। अब प्रदेश में कांगे्रस की सरकार है। चौपाटी निर्माण के वक्त चुप्पी साधे कांग्रेस के नेता अब मुखर हो गये हैं और उनकी लगातार की जा रही शिकायतों के परिणाम स्वरूप ये चौपाटी भी हटा दी गयी है, ऐसी चर्चा है। हालांकि दस्तावेजी हालात लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की पुलिस थाने में की गई शिकायत को चौपाटी हटाने का मुख्य कारण बता रहे हैं।

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बहरहाल, चौपाटी हटाने शुक्रवार को सुबह करीब 11:30 बजे राजस्व निरीक्षक बीएल सिंघावने, सब इंजीनियर आदित्य पांडेय के साथ अतिक्रमण विरोधी अमला पहुंचा और चौपाटी के गेट पर लगी नाम की पट्टिका हटायी और सारे बैरीकेट्स भी तोड़ दिये गये हैं। आज की कार्यवाही में खास बात यह थी कि किसी भी दुकानदार को कोई नोटिस नहीं दिया गया। दुकानदारों का कहना है कि उनको नहीं पता था कि यह भूमि किसकी है। उन्होंने तो पूर्व में नगर पालिका की ओर से बताये अनुसार एक-एक हजार रुपए पंजीयन के जमा किये थे और पांच सौ रुपए माहवार किराया दे रहे थे। जिस वक्त अतिक्रमण हटाया जा रहा था, दुकानदारों के पक्ष में नगर पालिका में स्वास्थ्य समिति के सभापति राकेश जाधव खड़े थे। उन्होंने आरआई बीएल सिंघावने से सवाल भी किये। उन्होंने इस कार्रवाई को गरीबों की रोजी-रोटी छीनने से भी जोड़ा।

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इनका कहना है…!
किसी को कोई नोटिस देने की जरूरत नहीं है। वे पक्की दुकान में नहीं बैठे हैं। अस्थायी दुकानें लगी थी जो हटायी जा सकती है। पीडब्ल्यूडी की भूमि थी, उन्होंने नगर पालिका के खिलाफ शिकायत की थी, अत: भूमि खाली करायी गयी है। उनको यहां मृत्युंजय टाकीज के पास दुकान लगाना चाहिए।
हरिओम वर्मा, सीएमओ

हमें तो मुख्य नगर पालिका अधिकारी के निर्देश थे, कि चौपाटी हटाना है। यह पीडब्ल्यूडी की भूमि थी जो उन्होंने मांगी है। इसलिए इसे हम इसे रिक्त करा रहे हैं। जहां तक भूमि देने की बात है तो हमें नहीं पता कि इनको यहां कैसे और किसी नियम से बिठाया था।
बीएल सिंघावने, आरआई

हमें हमारे वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्देश दिये थे कि रेस्ट हाउस के साइड में चौपाटी वाली भूमि के लिए आवेदन दिया जाए। हमने एसडीएम, एसडीओपी और सीएमओ को आवेदन दिया था।
एके मेहतो, सब इंजीनियर लोनिवि

हमें तो यहा यह कहकर जगह दी थी कि अब उनका यहां स्थायी रोजगार हो गया है। हमें नहीं पता था कि यह भूमि किसकी है। नगर पालिका की ओर से बताये अनुसार 1-1 हजार रुपए पंजीयन के जमा किये थे और 5 सौ रुपए माहवार किराया दे रहे थे। बिना नोटिस हटाया है, हम ऐसी कार्रवाई का विरोध करते हैं।
सुनील अग्रवाल, दुकान संचालक

चौपाटी पर कांग्रेस नेताओं के दबाव में प्रशासन ने जेसीबी चलाकर गरीबों के पेट पर लात मारने का काम किया है, जिसकी हम निंदा करते हैं। कमलनाथ सरकार बताये कि रोजगार देने का वादा किया था या रोजगार छीनने का।
राकेश जाधव, सभापति नगर पालिका

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