जब मास्साब की हुई विदाई तो, सबकी आंखें भर आयीं

इटारसी। कभी-कभी सरकारी सेवा में रहकर मिसाल पेश करने वाले ऐसी छाप छोड़ जाते हैं जो लोगों को जीवनभर याद रहती है। तभी तो ऐसे सेवक जब स्थानांतरित होते या फिर सेवानिवृत्त होते हैं तो उनके साथ विदा करने वालों की आंखें भी नम हो जाती है। ऐसा ही एक उदाहरण होशंगाबाद की ग्राम पंचायत पर्रादेह में देखने को मिला।
ग्राम पंचायत पर्रादेह में माध्यमिक शाला के प्राध्यापक हीरालाल सोलंकी ने यहां रहकर अपने कार्य-व्यवहार से न सिर्फ ग्रामीणों का दिल जीत लिया था बल्कि गांव से मिले अपार प्रेम से वे स्वयं भी अभिभूत हो गये थे। इस बीच पारिवारिक कारणों से उन्होंने अपना स्थानांतरण अपने जिले बड़वानी में करा लिया। जब ग्रामीणों ने भारी मन से उनको विदाई दी तो ग्रामीणों के साथ-साथ उनकी आंखें भी नम हो गयीं। सरपंच कन्हैयालाल वर्मा का कहना है कि जब तक वे ग्राम में रहे उनको पूरा ग्राम परिवार के सदस्य के रूप में मानता रहा। वे हर बच्चे और ग्रामवासियों से अपूर्ण स्नेह प्रेम रखते थे और बच्चों को पूरी ईमानदारी से पढ़ाते थे। प्रतिदिन स्कूल आते और शिक्षा के साथ स्कूल की अन्य जिम्मेदारी भी निभाते थे। उन्होंने स्कूल की समस्याओं से सरपंच को समय-समय पर अवगत कराया और ग्राम पंचायत के माध्यम से कई निर्माण और मरम्मत कार्य कराये हैं। शिक्षकों, ग्रामवासियों और बच्चों ने इनकी विदाई समारोह स्कूल में मनाया तो ग्रामीणों के साथ ही उनकी आंखों से आंसू झलक रहे थे। गांव की ओर से उन्हें शॉल श्रीफल के साथ मां नर्मदा जी की फ़ोटो भेट की गई।

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