जलवायु परिवर्तन विषय पर हुई शोध संगोष्ठी

इटारसी। शासकीय एमजीएम कालेज के भूगोल विभाग ने सोमवार को जलवायु परिवर्तन: प्रभाव एवं न्यूनीकरण की रणनीतियां विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से विषय विशेषज्ञ, विद्वान एवं शोधार्थी उपस्थित हुए।
संगोष्ठी का उद्घाटन डॉ. रोली कंचन एमएस विश्वविद्यालय, बड़ोदरा गुजरात, डॉ. एसके शर्मा डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर मप्र, डॉ. हरविन्दर सिंह जालंधर पंजाब, डॉ. मनोज यादव स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर हिसार हरियाणा, डॉ. आरडी सिंह बरकतउल्ला विश्व विद्यालय, भोपाल मप्र तथा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पीके पगारे ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण द्वारा किया।
संगोष्ठी के संगठन सचिव विनय रैकवार भूगोल विभाग ने अतिथियों, प्रतिभागियों एवं विद्यार्थियों का स्वागत किया। संयोजक डॉ. केआर कोशे भूगोल विभाग ने इस सेमिनार के आयोजन की रूपरेखा एवं इसका उद्देश्यों को स्पष्ट किया। अतिथियों ने शोध संगोष्ठी से संबंधित स्मारिका का विमोचन किया गया।

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मुख्य वक्ता डॉ. एसके शर्मा ने जलवायु परिवर्तन के कारणों को स्पष्ट करते हुए बताया कि यह एक प्राकृतिक घटना है जो मानवीय क्रियाकलापों से और अधिक प्रभावित हो रही है। प्राचार्य ने अपने व्याख्यान में कहा कि इस संगोष्ठी के आयोजन से विचार मंथन एवं सार्थक परिणाम प्राप्त होंगे।
तकनीकी सत्र में डॉ. रोली कंचन ने बताया कि जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय विसंगतियों को दूर कर समाकलित रूप से संपोषित विकास के लिए प्रयास करना होगा साथ ही तकनीकियों के प्रयोग से जलवायु परिवर्तन से निपटना होगा। डॉ. आरडी सिंह ने कहा कि विकास का मॉडल ऐसा होना चाहिए कि सभी को प्राकृति संसाधन का समान अवसर प्राप्त होना चाहिए। आर्थिक विकास की विषमता से प्राकृतिक असंतुलन उत्पन्न होता है। एक जैसा विकास मॉडल सभी स्थानों पर लागू नहीं किया जा सकता। डॉ. मनोज यादव ने रिमोर्ट सेंसिंग एवं उसके अनुप्रयोगों के द्वारा सूखा, आग, बाढ़, फासलों में रोग तथा अन्य प्राकृतिक समस्याओं का समय पर आकलन किया जाना संभव हो गया है। जिससे प्राकृतिक संकटों से बचा जा सकता है। डॉ. हरविन्दर सिंह ने जलवायु परिवर्तन एवं मनाव समाज पर व्याख्यान देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं का सीधा प्रभाव मनुष्य एवं मानव जीवन पर पड़ता है। उन्होंने बताया कि भविष्य में पर्यावरण शरणार्थियों की समस्या विकराल रूप लेगी। इसके लिए समय रहते प्रयास किया जाना आवश्यक है। समापन सत्र की अध्यक्षता सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. केएस उप्पल तथा डॉ. एसक्यू कुरैशी की गई। संगोष्ठी का संचालन डॉ. व्हीके कृष्ण ने किया।

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