जहरीला रसायन छिड़काव कर पकाई जा रही मूंग की फसल

इटारसी। ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल जो इस समय हरी है, उसे जहरीले रसायन का छिड़काव करके पकाने का काम जोरों पर चल रहा है। खेतों में इस फसल को सुखाने के लिए रसायन का छिड़काव हो रहा है ताकि इस फसल को काटकर दूसरी फसल की तैयारी की जा सके।
खेती को लाभ का धंधा बनाने में सहायक कही जाने वाली ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल की कटाई पिछले एक सप्ताह से युद्ध स्तर पर चल रही है। चूंकि किसान हर हाल में बारिश से पहले इस फसल को सुरक्षित निकालकर उससे आर्थिक लाभ लेना चाहता है, इसी के मद्देनजर खेतों में खड़ी हरीभरी फसल को सपोला नाम की रासायनिक दवा का छिड़काव कर रहे हैं।
इस दवा के छिड़काव से 18 घंटे में हरी फसल सूख जाती है। इस रसायन से पत्तियां और फल्लियां ऐसे हो जाती हंै जैसे किसी ने तेजाब डाल दिया हो। इसी जहरीले रसायन से जली और सूखी फसल को इन दिनों किसान मशीन से जल्दी-जल्दी काटकर घर आंगन में सुखा रहे हैं।
बहरहाल, जो भी हो। यह किसान के लिए भले ही लाभकारी धंधा हो, मानव सेहत के मान से कतई सही नहीं हो सकता है। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, वे इनसान के कातिल ही कहलाएंगे तो चंद कागज के नोटों के बदले लोगों की जान की परवाह नहीं कर रहे हैं। वैसे भी इसी फसल के लिए नरवाई जलाने वाले किसानों ने ग्राम पांजराकलॉ में आठ लोगों की अप्रत्यक्ष हत्या कर दी थी। न जाने, इनसानी जान से खेलने वाले और केवल पैसों को अहमियत देने वाले ऐसे लोग कब मनुष्य की जान की कीमत समझेंगे। तब, जब यहां भी पंजाब की तरह कोई कैंसर एक्सपे्रेस चलेगी?

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