जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े

इटारसी। श्री द्वारिकाधीश मंदिर में श्री बालकृष्ण लीला संस्थान वृंदावन के कलाकारों द्वारा पं.प्रभात कुमार श्याम सुंदर शर्मा के नेतृत्व में प्रभु श्रीराम की लीला का मंचन जारी है। मानस के प्रसंगों को मंच पर कलाकारों के माध्यम से मंचित होता देखकर हर कोई राम भक्ति में रम जाता है। स्वरूपों में ढले कलाकार भी दर्शकों तक श्री राम का संदेश पहुंचाने में सफलता पाते दिखाई देते हैं। हर दिन की तरह मंगलवार को भी मानस के क्रमिक प्रसंगों के मंचन की श्रंखला में अहिल्या उद्धार, गंगापार, नगर दर्शन, पुष्प-वाटिका जैसे प्रसंगों का मंचन किया गया।
नगर पालिका परिषद के तत्वावधान में मंगलवार को अहिल्या उद्धार से प्रसंग प्रारंभ हुए। इंद्र का छल, अहिल्या को श्राप और श्रीराम द्वारा अहिल्या का उद्धार के बाद महर्षि विश्वामित्र संग जनकपुरी में दोनों राजकुमार पहुंचते हैं। इस दौरान लक्ष्मण को नगर दर्शन का विचार आता है। वे नगर दर्शन करते हैं, सखियां दोनों राजकुमारों के रूप का बखान करती हैं। इसके बाद गुरु की आज्ञा से श्रीराम वाटिका में फूल लेने जाते हैं। उधर माता गौरा भी सीता जी को आशीर्वाद देती हैं सुफल मनोरथ होई तुम्हारे। जब श्रीराम वाटिका में पुष्प लेने जाते हैं तो सीता और राम की नजरें मिलती हैं। लौटकर आते और गुरु को सारी बातें बताते हैं। गुरु भी उनको यही आशीर्वाद देते हैं। बुधवार को श्री रामलीला में धनुष यज्ञ का आयोजन होगा।

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