जानिए क्या है भारत का सबसे प्राचीन संवत
संवत् समय गणना पर संगोष्ठी
होशंगाबाद। इतिहास मेें काल निर्धारण का महत्वपूर्ण स्थान हैं। संवत् समय गणना का भारतीय मापदंड हैंै। होशंगाबाद में शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास विभाग में आज आयोजित संगोष्ठी में प्राचार्य डॉ. ओएन चौबे ने उक्त बात कही। संगोष्ठी में डॉ. हंसा व्यास ने कहा संख्या के विचार से चलने वाली वर्ष गणना संवत् कहलाती हैं। भारत का सबसे प्राचीन संवत् सप्तर्षि संवत् है जिसका आध्यात्मिक, सांस्कृतिक आधार हैं। अद्युत खरे, तरूण चैधरी, अभिषेक वर्मा, वैभव पालीवाल, काजल धावनी, आनंद सिंह आदि बच्चों ने विक्रम, शक, महावीर, सप्तर्षि संवत् पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. कल्पना स्थापक ने शक संवत् के ऐतिहासिक संदर्भों पर अपने विचार रखे। डॉ. हंसा व्यास ने बताया विक्रम संवत् हिन्दू पंचाग में समय गणना की प्रणाली का नाम है अत: भारत का राष्ट्रीय संवत् विक्रम संवत् होना चाहिए। डॉ. असुन्ता कुजूर ने ईसवी सन् और काल गणना पर अपने विचार व्यक्त किये। वैभव पालीवाल ने कहा कि विक्रम संवत् का सांस्कृतिक व अध्यात्मिक आधार है इसलिए विश्व नववर्ष के रूप में मनाया जाना चाहिये। अभिषेक वर्मा ने सौरमंडल की गणना के आधार पर प्रकाश डाला। संजू चौहान ने बताया कि भारतीय इतिहास में अनेक संवत् चलते हैं। महीनों की गणना सूर्य चन्द्र की गति पर निर्भर हैं। अंकित रघुवंशी ने शक संवते पर प्रकाश डाला। अद्युत खरे ने सप्तर्षि के धार्मिक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक आधार पर अपने विचार अभिव्यक्त करते हुये कहा कि यह संवत् अत्यन्त प्राचीन हैं, जिसका उल्लेख विदेशी ग्रंथों में मिलता हैं। पौैराणिक इतिहास के लिये सप्तर्षि संवत् का ज्ञान होना जरूरी हैं। डॉ. विनीता अवस्थी ने संवत् की ज्योतिषीय गणना पर विचार व्यक्त किये। संचालन हर्षा परते ने और आभार प्रदर्शन शुभम खान ने किया।