एसडीएम को ज्ञापन देने पहुंची ग्रामीण महिलाए
इटारसी। ओझा बस्ती के लोगों के भारी विरोध के बाद ग्राम जिलवानी में सरकार से मिली जमीन पर कचरा डालने वाले नगर पालिका अधिकारियों को आज वहां के ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। करीब आधा सैंकड़ा ग्रामीण महिला-पुरुषों ने आज सड़क पर बैठकर कचरा वाहनों को रोक दिया। ग्रामीणों का विरोध इतना तीव्र था कि नपा अधिकारियों को पुलिस बुलानी पड़ी। हालांकि नगर पालिका यहां कचरा डालना जारी रखेगी, क्योंकि ग्रामीणों की एसडीएम से मुलाकात के बाद ऐसा कोई निर्णय नहीं हो सका जिसमें नपा को कचरा डालने से मना किया जाए। विरोध होने की सूचना के बाद वस्तुस्थिति का जायजा लेने सीएमओ अक्षत बुंदेला ने मौका का निरीक्षण किया और सब इंजीनियर को आवंटित स्थल पर जालीदार फैंसिंग लगाने के निर्देश दिए।
उल्लेखनीय है कि बीते कई वर्षों से नगर पालिका का स्वच्छता विभाग न्यास कालोनी के पीछे सांकलिया नाले के किनारे शहर भर का कचरा डंप करता रहा है। यहां समरसता नगर बसाने के बाद डंपिंग जोन को जैविक खाद के लिए तैयार किया गया। हालांकि कुछ हिस्से में अब भी कचरा डाला जा रहा था, लेकिन नगर पालिका को शासन ने करीब 13 एकड़ भूमि ठोस अवशिष्ट प्रबंधन के लिए आवंटित की है, कलेक्टर के आदेश से नगर पालिका ने पिछले दो दिन से यहां कचरा डंप करना शुरु किया है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं।
सड़क पर बैठ गए ग्रामीण
आज शहर से कचरा लेकर वाहन डंपिंग जोन में पहुंची तो करीब आधा सैंकड़ा महिला एवं पुरुष सड़क पर बैठ गए। उन्होंने कचरा वाहनों को आगे नहीं जाने दिया। सूचना पर यहां से स्वच्छता निरीक्षक आरके तिवारी, स्वास्थ्य अधिकारी एसके तिवारी, सब इंजीनियर आदित्य पांडेय पहुंचे और ग्रामीणों के समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण नहीं माने तो नपा अधिकारियों को पुलिस बुलानी पड़ी। पथरोटा से पहुंचे थाना प्रभारी बीएस घुरैया, एएसआई भोजराज बरबड़े ने पुलिस के साथ मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से बात की। विरोध करने वालों में ग्राम कुबड़ाखेड़ी, जिलवानी और पथरोटा के ग्रामीण भी शामिल थे। किसी तरह से ग्रामीणों को एसडीएम से बात करने राजी किया फिर दो वाहन कचरा वहां खाली किया। दोपहर में ग्रामीण जाकर एसडीएम वंदना जाट से मिले अवश्य लेकिन भूमि पर कचरा डालने के विरोध में किसी प्रकार का ज्ञापन आदि नहीं दिया है।
यह बात रहे विरोध का कारण
ग्रामीणों का कहना है कि जहां कचरा डंप किया जा रहा है, वह स्थान गांव के करीब है और इसकी बदबू से हमारे बच्चे बीमार होंगे। हालांकि वास्तविकता तो यह है कि ये गांव डंपिंग स्थल से एक से डेढ़ किलोमीटर दूरी पर हैं तथा पथरोटा तो तीन से चार किलोमीटर दूर है। दरअसल, कुछ लोगों का कहना है कि शासन ने जो भूमि नगर पालिका को आवंटित की है, वहां आसपास के गांव के कई लोगों ने कब्जा करके खेती कर रखी है और ये लोग वर्षों से इस सरकारी जमीन पर फसल उगा रहे हैं, अब उनको भूमि हाथ से जाती दिख रही है तो स्वास्थ्य खराब होने की आड़ लेकर विरोध कर रहे हैं, जबकि डंपिंग स्थल से काफी दूरी पर गांव हैं। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि इस तेरह एकड़ भूमि पर से पंगडंडी का उपयोग करके ग्रामीण जंगल से लकड़ी आदि लेकर आते हैं। नगर पालिका इस भूमि को आधिपत्य में ले लेगी तो यहां से आना-जाना बंद हो जाएगा।
इनका कहना है…!
ग्रामीणों के विरोध की सूचना मिली थी, हम पहुंचे तब तक ग्रामीण जा चुके थे। भूमि शासन ने आवंटित की है, वहां जालीदार फैंसिंग करायी जा रही है, गांव उस स्थल से काफी दूर हैं, वहां ठोस विशिष्ट प्रबंधन के तहत इकाई भी लगायी जाएगी। फिलहाल कचरे को गड्ढे में डंप करके उसे ऊपर से बंद किया जा रहा है, किसी प्रकार की कोई बदबू नहीं आएगी।
अक्षत बुंदेला, सीएमओ